डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की खुदकुशी के बाद उज्जैन नगर निगम सवालों के कठघरे में है। आरोपी उपयंत्री संजय खुजनेरी व सहायक उपयंत्री नरेश जैन को पुलिस करीब एक माह से तलाश कर रही है जबकि अब निगम के गलियारों में चर्चा चल पड़ी है कि खुदकुशी करने से पहले ठेकेदार शुभम ने सबसे पहले निगम इंजीनियर पीयूष भार्गव को सुसाइड नोट वाट्सएप किया था।
(फिल्म स्टार राजेश खन्ना की तरह उड लई, उड लई की तर्ज पर निगम इंजीनियर पीयूष भार्गव)
पीयूष भार्गव का रिकॉर्ड खोजे तो बर्बस ही मुंह से निकल जाएगा कि-"कभी देखा है ऐसा इंजीनियर" और देखेंगे तो समझ आ जाएगा कि-"शायद अपने पेशे की ताकत से ही ये निगम के हर कार्यों में कर लेते हैं अपना उल्लू सीधा। इनके लिए संभवतः भोपाल के आदेश भी बेअसर हैं। यदि ऐसा न होता तो ये अब तक नगर पालिका बुरहानपुर में अपनी ज्वाइनिंग दे चुके होते।
शायद ऐसे कर लेते हैं अपना उल्लू सीधा
माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू भी माना जाता है। शायद इसलिए आपने भी देखा होगा कि शहर में बुद्धि से कई उल्लुओं के पास भी काफी धन-दौलत है। इन उल्लुओं के नामों की सूची फिर कभी बाद में लेकिन अभी हम ये जानते है कि निगम इंजीनियर पीयूष भार्गव अपने हर कार्यों में अपना उल्लू सीधा कैसे कर लेते हैं। दरअसल निगम में ये राम की जय भी बोलते हैं और रावण की भी। दोनों पक्षों के ज्यादातर नेताओं को इन्होंने अपना खास बना रखा है। सिंहस्थ 2016 में तैयार की गई खिचड़ी को बांटकर ही ये सभी को और ज्यादा खास बनाने में सफल हो चुके थे। किसी को इन्होंने बोतल में उतार रखा है तो किसी को इन्होंने अपनी जेब से छिपा रखा है। जब भी ये किसी अधिकारी के सामने प्रकट होते हैं। इन्हें देखते ही उस अधिकारी के दिमाग में स्वतः ही भजन सुनाई देने लगता है कि-"छलिया का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया"। शायद अपने इसी पेशे की बदौलत लंबे समय से ये उज्जैन नगर निगम में टिके हुए हैं। एक-दो मर्तबा इधर-उधर फैंके गए हैं लेकिन जैसे ही भोपाल में किसी मंत्री या आला अधिकारी के सामने तबादला निरस्ती के लिए खड़े हुए। शायद इन्हें देखते ही उनके दिमाग में भी सुनाई देने लगता कि-"छलिया का भेष बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया"। इसके बाद वे फिर इन्हें उज्जैन नगर निगम भेज देते। शायद इस तरह ये निगम के हर कार्यों में अपना उल्लू सीधा कर लेते।
इसलिए इनके सामने भोपाल का आदेश बेअसर
राज्य शासन के आदेश पर प्रदेश की नगरीय निकायों के 9 इंजीनियरों को इधर से उधर स्थानांतरित किया था। 25 सितंबर 2020 को नगरीय विकास एवं आवास उप सचिव डॉ. अमिताभ अवस्थी द्वारा जारी आदेश में सहायक यंत्री पीयूष भार्गव को उज्जैन नगर निगम से नगर पालिका बुरहानपुर तबादला किया गया था। इस आदेश के बाद भी निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने उन्हें रिलीव नहीं किया बल्कि तीन दिन बाद यानी 28 सितंबर 2020 को अपना आदेश जारी कर उन्हें प्रमुख समिति का सदस्य बना दिया। इसके बाद 3 अक्टूबर 2020 को नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव द्वारा उन निकायों के प्रमुखों को लिखित आदेश जारी किए गए, जिनमें इंजीनियर के तबादले किए गए थे। आदेश में स्पष्ट जिक्र है कि जिस अधिकारी/कर्मचारी द्वारा दिनांक 5/10/2020 तक नवीन पदस्थापना स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाता है। उन्हें निलंबित करने हेतु प्रस्ताव संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास को कृपया अविलंब उपलब्ध करावे। इन आदेशों के बाद भी इंजीनियर पीयूष भार्गव ने न अब तक बुरहानपुर में ज्वाइनिंग दी है और न ही निगमायुक्त सिंघल ने उन्हें अब तक रिलीव किया है। इसलिए इंजीनियर भार्गव के सामने भोपाल के आदेश भी बेअसर नजर आते हैं।
निगमायुक्त का मोबाइल बोलता रहा, जब तक दवाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं
ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की खुदकुशी में निगम निर्माण जांच व इंजीनियर पीयूष भार्गव के तबादला, रिलीव या निलंबन प्रस्ताव के संबंध में अधिक जानकारी के लिए निगमायुक्त क्षितिज सिंघल से संपर्क किया गया लेकिन हर बार उनका मोबाइल कोरोना संदेश देता रहा कि- "जब तक दवाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं"। निगमायुक्त सिंघल को दो कॉल किए गए लेकिन उन्होंने दोनों ही कॉल रिसीव नहीं किए।