डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
आगामी 3 नवंबर को मध्यप्रदेश में प्रदेश की 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसके लिए प्रत्याशियों के नामांकन पत्र दाखिल किए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसी सिलसिले में गुरुवार दोपहर सांवेर कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके बाद बजाज चौक पर आयोजित हुई आमसभा में उन्होंने जनता से पूंछा कि सांवेर को 'जयचंद' चाहिए या फिर 'प्रेमचंद'।
यहीं उन्होंने 15 साल बाद लौटी कांग्रेस सरकार को गिराने वाले मुख्य किरदार भाजपा राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया व उनके खास दरबारी सांवेर भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट के खिलाफ खुलकर घातक "शब्दबाण" छोड़े। उन्होंने कहा कि सिलावट जी आप वफादारी निभाए, खूब निभाए अपने आका से, अपने मालिक से, अपने महाराज से लेकिन उसकी कीमत सांवेर का आम आदमी क्यों चुकाए, क्यों भुगते ? तुम्हे ये अधिकार किसने दिया कि तुम सांवेर के भरोसे को बेच दो, सांवेर के विकास को बेच दो, सांवेर की तरक्की को बेच दो, सांवेर के बच्चों के भविष्य को बेच दो और उस पर इतनी बेशर्मी की दोबारा वोट लेने आ रहे हो। तुम्हे तो कोई लज्जा नहीं, कोई शर्म नहीं। अरे कैसे आंख मिलाओगे उन वोटरों से जिन्होंने तुम्हे वोट दिए थे सिलावट जी ? बताओ मुझे। बस मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा की अब सांवेर को फैसला करना है कि सांवेर को 'जयचंद' चाहिए या फिर 'प्रेमचंद' ?
गुड्डू ने छोड़े ये घातक "शब्दबाण"
✓ आज साधु और शैतान की बहुत बात हो रही है। आप सभी बताए कि साधु और शैतान कौन हैं ?
✓इन शैतानों और राक्षसों ने ही संविधान की पीठ पर छुरा घौंपा है और आप सभी को लूटा है।
✓ सिंधिया की गद्दारी का इतिहास पुराना है। इन्होंने इंदौर के साथ भी गद्दारी की थी। तब होलकर राज था।
✓ प्रमाण के तौर पर इंदौर में सती बावड़ी आज भी मौजूद है।जहां सिंधिया सेना की लूट-खसौट से बचने के लिए हमारी पांच हजार से अधिक माताओं-बहनों ने कूदकर अपनी जान गंवाई थी।
✓ जिस सिलावट के पास तिलक निकालने पर बच्ची या बहनों को नेग देने के लिए 21 या 51 रुपए नहीं होते थे। उस सिलावट के पास अब इतने सारे रुपए कहां से आए, ये आप सब भी जानते हैं।
✓ इन रुपयों से चुनाव जीतने के लिए उज्जैन-इंदौर की सारी बड़ी होटले बुक कर ली गई। कॉकटेल पार्टी चल रही है। अब बताओ शैतान और राक्षस कौन है ?
✓ मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर कमलनाथ जी का कसूर क्या था ?
✓ यही कि उनके सवा साल के राज में मध्यप्रदेश खुशहाल था। उन्होंने बिजली के बिल कम किए, किसानों के कर्जे माफ किए।
✓ कमलनाथ जी के शब्दों में कहना चाहूंगा कि चुनाव आएगा चुनाव जाएगा। ये झंडे-पोस्टर नहीं रहेंगे।
✓ उसके बाद मप्र को ये भाजपा वाले कहां ले जाएंगे पता नहीं। ये सिर्फ उपचुनाव नहीं है बल्कि मध्यप्रदेश के भविष्य का चुनाव है।
(नोट- जैसा कि सांवेर कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने आमसभा और मीडिया से कहा)
गुड्डू भी भाजपा से थे लौटे लेकिन जनता से गद्दारी का दाग नहीं
प्रेमचंद गुड्डू इंदौर और उज्जैन संभाग के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे हैं। 1998 में वे सांवेर विधानसभा से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। फिर 2003 उज्जैन-आलोट लोकसभा क्षेत्र की आलोट सीट से विधायक बने थे। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर ही उज्जैन-आलोट लोकसभा सीट से सांसद बने थे। 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में राजनीतिक अनबन के कारण वे अचानक भाजपा में शामिल हो गए थे। जिस पर भाजपा से उनके पुत्र को घट्टिया विधानसभा से टिकट मिला। हालांकि उनके पुत्र की हार हुई। इस दौरान करीब सवा साल वे भाजपा में शामिल रहे लेकिन जैसे ही सिंधिया ने अपने दरबारी 22 विधायकों के साथ कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराई। उसके कुछ दिनों बाद गुड्डू वापस अपनी पुरानी कांग्रेस पार्टी में लौट आए। गुड्डू भले ही सवा साल भाजपा में शामिल रहे लेकिन उन पर जनता से गद्दारी का दाग नहीं है। अब कांग्रेस ने उन्हें फिर सांवेर से अपना प्रत्याशी बनाया है।