डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
नगर निगम को आमजनता बोलचाल की भाषा में नरक निगम पुकारती है। वह इसलिए नहीं की शहर की स्वच्छता का दायित्व निगम के पास है बल्कि इसलिए पुकारती है कि इस विभाग में रिश्वतखोरी व कमीशनखोरी का कचरा फैलाने वाले कई अधिकारी व कर्मचारियों का जमावड़ा रहता है। ठेकेदार शुभम खंडेलवाल द्वारा आत्महत्या की दो विभाग स्तर पर जांच की नौटंकी चल रही है।
खुदकुशी के मामले में पुलिस स्तर पर और नाला निर्माण के मामले की कमीशनबाजी में नगर निगम स्तर पर। आत्महत्या से पहले ठेकेदार शुभम खंडेलवाल द्वारा सोशल मीडिया पर जारी अपने सुसाइड नोट में प्रभारी उपयंत्री संजय खुजनेरी, सहायक उपयंत्री नरेश जैन व एक अन्य निगम ठेकेदार तन्मय उर्फ चीनू वदेका को जिम्मेदार ठहराया था। इसी सोसाइड नोट के आधार पर चिंतामन पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज कर तलाश शुरू की थी। वार्ड 25 में नाला निर्माण की जांच प्रभारी कार्यपालन यंत्री अरुण जैन, उपयंत्री आदित्य शर्मा, सुरेंद्र रावत व सहायक उपयंत्री डीएस परिहार एवं पीसी यादव द्वारा की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस टीम ने अब तक की जांच में ये भी पाया है कि ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की आत्महत्या के आरोपी सहायक उपयंत्री नरेश जैन के लिए मेजरमेंट बुक (माप पुस्तिका) में लेखा-जोखी 'काला अक्षर भैंस बराबर' है। बावजूद उन्हें जोन 3 में सहायक उपयंत्री के प्रभार पर बैठा रखा है। अब देखना ये है कि इस जानकारी को भी उक्त टीम अपनी जांच रिपोर्ट में शामिल कर निगमायुक्त क्षितिज सिंघल के समक्ष प्रस्तुत करती है या फिर "पहले तुमने खाया और अब हम खाएंगे" की कहावत को चरितार्थ करते हुए हजम कर जाती है। क्योंकि वैसे भी यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जानी होती तो इसे पीडब्ल्यूडी विभाग की टीम को सौंपा जाता।
छह महीने की ट्यूशन दिलवाकर निगमायुक्त सिंघल खुद परीक्षा लें तो, तब भी माइनस 33 नंबर लाकर फैल हो जाएं सहायक उपयंत्री जैन
नाला निर्माण की जांचकर्ता टीम ने पाया है कि ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की आत्महत्या के आरोपी प्रभारी उपयंत्री संजय खुजनेरी का मूल पद गैंगमैन (चतुर्थ श्रेणी) है। ठेकेदार शुभम खंडेलवाल ने ही अपनी जेब से देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री' को 2 लाख रुपए देकर उसे चतुर्थ श्रेणी से सीधे प्रभारी उपयंत्री बनवाया था। ये अपात्र नियुक्ति तत्कालीन निगमायुक्त ने देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री' के खासे दबाव में आकर की थी। इसीप्रकार ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की आत्महत्या के दूसरे आरोपी सहायक उपयंत्री नरेश जैन के विषय में नगर निगम में ही विदित है कि यदि निगमायुक्त क्षितिज सिंघल द्वारा आरोपी सहायक उपयंत्री नरेश जैन को मेजरमेंट बुक (माप पुस्तिका) में निर्माण लेखा जोखी की 6 माह की ट्यूशन दिलवाई जाए और खुद परीक्षा ली जाए, तब भी सहायक उपयंत्री जैन 100 में से माइनस 33 नंबर लाकर फैल हो जाएं और यदि बिना ट्यूशन दिलवाए आज ही परीक्षा ले लें तो सहायक उपयंत्री जैन माइनस 66 नंबर लाकर फर्स्ट डिवीजन से फैल हो जाएं। सूत्र बताते है कि इन्होंने मेजरमेंट बुक में लेखा जोखी के लिए निजी तौर पर अपनी जेब खर्च से दो कर्मचारी रख रखे हैं। शायद इन जैसे अपात्र अधिकारी व कर्मचारियों की वजह से आमजनता नगर निगम को नरक निगम कहकर पुकारती है।