डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
उज्जैन नगर निगम ठेकेदार शुभम खंडेलवाल द्वारा खुदकुशी की जांच चिंतामन थाने में चल रही है। आत्महत्या करने से पहले उसने अपने सुसाइड नोट में निगम उपयंत्री संजय खुजनेरी, सहायक उपयंत्री नरेश जैन व ठेकेदार तन्मय उर्फ चीनू वदेका को दोषी ठहराया था। इसी सुसाइड नोट के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया था। फिलहाल तीनों आरोपी फरार हैं। जिनकी तलाश चिंतामन पुलिस कर रही है।
(आरोपी उप यंत्री संजय खुजनेरी)
इधर वार्ड 25 में जिस 19 लाख के नाला निर्माण के भुगतान को लेकर उपयंत्री संजय खुजनेरी व सहायक यंत्री नरेश जैन की प्रताड़ना से तंग आकर ठेकेदार शुभम खंडेलवाल मौत को गले लगाने के लिए विवश हुआ। उस निर्माण की जांच निगम आयुक्त क्षितिज सिंगल द्वारा अलग से करवाई जा रही है। इस जांच के लिए उनके आदेश पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री अरुण जैन, उपयंत्री आदित्य शर्मा, सुरेंद्र रावत व सहायक यंत्री डीएस परिहार एवं पीएस यादव की टीम बनाई गई है। सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच में इस टीम ने पाया है कि आरोपी संजय खुजनेरी का नगर निगम में मूल पद गैंगमैन (चतुर्थ श्रेणी) है। जिसे तत्कालीन निगमायुक्त ने देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री' के दबाव में आकर 'अ-विवेक' से 'छतरी' बनकर प्रभारी उपयंत्री बनाया था। इसके लिए तब ठेकेदार शुभम खंडेलवाल ने ही देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री' को अपनी जेब से 2 लाख रुपए दिए थे और आज इसी प्रभारी उपयंत्री खुजनेरी ने सहायक यंत्री नरेश जैन को साथ लेकर उसी ठेकेदार शुभम खंडेलवाल को आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया। अब देखना ये है कि जांच में पाई गई इस जानकारी को टीम हूबहू निगमायुक्त सिंघल के समक्ष रखती है या फिर 'चोर-चोर मौसेरे भाई' कहावत को चरितार्थ करते हुए हजम कर जाती है। क्योंकि वैसे भी यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जानी होती तो इसे पीडब्ल्यूडी की टीम को सौंपा जाता।
(आरोपी सहायक यंत्री नरेश जैन )
इसलिए देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री'
मृतक शुभम खंडेलवाल से 2 लाख रुपए लेकर जिस देवासगेट के 'नगरीय प्रशासन मंत्री' के दबाव में तत्कालीन निगमायुक्त ने 'अ-विवेक' से 'छतरी' बनकर संजय खुजनेरी को चतुर्थ श्रेणी से सीधे प्रभारी उपयंत्री बनाया था, तब देवासगेट के नगरीय प्रशासन मंत्री के राजनीतिक पापा (हर जिले से गोद लिए छुटभैये नेताओं के पालनहार) प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री थे। चूंकि पापा के गोद लिए स्थानीय नेता का देवासगेट व मालीपुरा में कारोबार है इसलिए इन्हें तब देवासगेट का 'नगरीय प्रशासन मंत्री' कहा जाता था। फिलहाल पापा की तरह इनकी हालत भी खस्ताहाल चल रही है।
इनका कहना
आरोपी उपयंत्री सहित तीनों आरोपी अभी फरार हैं। तीनों की तलाश की जा रही है। प्रकरण के संबंध में जो दस्तावेज चाहे गए हैं। नगर निगम ने वे अब तक उपलब्ध नहीं करवाए हैं। इसके लिए नगर निगम को पुनः स्मरण करवाया गया है।
- डॉ. रजनीश कश्यप, सीएसपी महाकाल