डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
कलयुग में ऐसा माना जाता है कि आज सिर्फ दो लोगों के पास ही अकूत दौलत है, जिनके पास पुश्तेनी जमीन है या फिर वह बाय नेचर कमीन है। इंदौर रोड स्थित महामृत्युंजय द्वार के समीप स्थित सांवरिया परिसर के करीब 80 लाख के 6 प्लाट नगर निगम उज्जैन में बंधक रखे मामले में उक्त जमीन अब किसकी है और बायनेचर अब कौन कमीन है। इसकी पुख्ता जांच अभी होना बाकी है।
वैसे किसी भी विवादित जमीन जांच की प्रमुख एजेंसी प्रशासन है फिर भी नानाखेड़ा व माधवनगर अनुभाग सर्कल क्रास कर ये जांच कोतवाली सीएसपी पल्लवी शुक्ला के पास कैसे पहुंची। इसका अभी खुलासा कर पाना संभव नहीं है। फिलहाल ये विवाद नया नहीं बल्कि 10 साल पुराना है। तब 8 मार्च 2010 को शिकायतकर्ता सुरेश कुमार (अब कथित भूमि स्वामी) द्वारा जनसुनवाई में की गई शिकायत के प्रति उत्तर में भूमि खरीददार महेश सुगंधी ने तत्कालीन तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत जवाब और दस्तावेजों के साथ निवेदन किया था कि उक्त शिकायतकर्ता सुरेशकुमार द्वारा की गई शिकायत आधारहीन एवं असत्य है तथा उक्त झूठी ये शिकायत निरस्त किए जाने योग्य है। सुलभ अवलोकन हेतु स्वीकृत मानचित्र की एक प्रति भी सलग्न है। अतः निवेदन है कि उक्त तत्थों के प्रकाश में उक्त शिकायत को निरस्त करने की कृपा करें। इन तथ्यों के आधार पर तब ये शिकायत नस्तीबद्ध कर दी गई थी। इसके बाद करीब 9 साल शांत रहने के बाद ये मामला तब फिर प्रकाश में आया, जब 7 सितंबर 2019 को जमीन खरीददार महेश सुगंधी ने तत्कालीन नगर निगम आयुक्त को लिखित शिकायत कर बंधक प्लाटों पर अवैध निर्माण के जरिए हो रहे कब्जे को रुकवाया। अब एक मर्तबा ये मामला तब फिर उछला, जब 29 जुलाई 2020 को जमीन खरीददार महेश सुगंधी ने आईजी राकेश गुप्ता से कोतवाली सीएसपी पल्लवी शुक्ला की लिखित शिकायत की व अगले ही दिन यानी 30 जुलाई 2020 को एसपी मनोजसिंह से भी लिखित शिकायत कर सीएसपी शुक्ला को जांच से हटाए जाने की मांग की। अब इस पूरे प्रकरण में नियत किसकी खराब है ? पूर्व में भूमि बेचवाल रहे मालिक के परिजन की या फिर जमीन खरीददार की, या फिर बंधक प्लाटों पर अवैध निर्माण कर कब्जाधारियों की या फिर वर्तमान जांच अधिकारी की। इसकी पुख्ता जांच होना अभी बाकी है।
2010 में तहसीलदार को प्रस्तुत जवाब के आधार पर जमीन के खरीददार व असली मालिक महेश सुगंधी
ताजा शिकायत की तर्ज पर ऐसी ही एक शिकायत सुरेश कुमार ने 2010 में जनसुनवाई में भी की थी। इस शिकायत की जांच तत्कालीन उज्जैन तहसीलदार ने की थी। यहां प्रस्तुत दस्तावेज व जवाब के आधार पर महेश सुगंधी ही उक्त जमीन के असली खरीददार व मालिक है। तहसीलदार को प्रस्तुत लिखित जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया था कि प्रार्थी (महेश सुगंधी) द्वारा शिकायतकर्ता सुरेश पिता कचरूलाल प्रजापति एवं प्रकाश पिता नंदलाल जी प्रजापति निवासी 22 नलियाबाखल उज्जैन आदि से भूमि क्रय कर उस पर विधिवत अनुज्ञा प्राप्त कर कॉलोनी का विकास किया गया है। प्रार्थी द्वारा पांच भूखंड जिनका कुल क्षेत्रफल 2725 वर्गफीट है, नियमानुसार नगर निगम के पास बंधक रखे गए हैं। तथा शीघ्र ही प्रार्थी नियमों के अनुरूप डामरीकरण आदि का समस्त कार्य पूर्ण कर उक्त भूखंड को मुक्त करवाने हेतु तत्पर है। जो भूमि प्रार्थी द्वारा क्रय कर कॉलोनी विकास किया गया है। उसके पूर्व दिशा की ओर मुख्य मार्ग से लगे हुए उक्त व्यक्तिगण के पांच भूखंड मौके पर शेष थे, जिनका कुछ भाग सर्विस रोड में चला गया है। ये तथ्य छिपाकर उक्त व्यक्तिगण द्वारा पीछे प्रार्थी बंधक रखे गए भूखंडों के भाग को स्वयं के स्वामित्व का बताने का प्रयास किया जा रहा है। प्रार्थी द्वारा अनुज्ञा प्राप्त कर डायवर्शन आदि करवाकर टाउन एंड कंट्रीप्लानिंग से भी मानचित्र इम्प्रूव करवाकर उक्त कॉलोनी का विकास किया गया है। तथा समस्त वैधानिक शुल्क नियमानुसार नगर निगम को उसके द्वारा अदा भी किए गए हैं। चूंकि इन तथ्यों और प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर तहसीलदार ने यह शिकायत नस्तीबद्ध कर दी थी। जिस पर इस आधार पर महेश सुगंधी उक्त जमीन के खरीददार होकर अब भी बंधक प्लाटों के मालिक हैं।
यदि धोखाधड़ी हुई तो क्या ये धोखाधड़ी शिकायतकर्ता ने ही की
पॉवर ऑफ अटॉर्नी क्या होती है ? उसकी शक्ति जमीन खरीदने व बेचने वालों को ठीक से पता होती है। ज्यादातर मामलों में किसानों या अन्य बेचवालों से जमीन खरीदकर कॉलोनी विकसित कर पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए रजिस्ट्री कर बेची या खरीदी जाती है। यहां सांवरिया परिसर के मामले में महेश सुगंधी ने उक्त जमीन शिकायतकर्ता सुरेशकुमार के परिवार की साझा जमीन उनके परिजनों से खरीदी थी। जिस पर तत्कालीन समय में पूरी कीमत वसूलने के बाद ही परिजनों ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी महेश सुगंधी के नाम की थी। पॉवर ऑफ अटॉर्नी महेश सुगंधी के नाम है और शिकायतकर्ता सुरेशकुमार के परिजनों ने उक्त भूमि सुगंधी को पूर्व में ही बेच दी थी। फिर भी यदि सुरेशकुमार ने सुगंधी द्वारा नगर निगम में बंधक रखे प्लाटों को किसी रघुनाथ को बेच रजिस्ट्री कर दी है। तब भी धोखाधड़ी का प्रकरण शिकायत कर्ता सुरेशकुमार पर ही बनता है और यदि सारी जानकारी होने पर भी पूर्व में बेची गईं जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली है तो नगरनिगम व अन्य एजेंसी से बिना अनुमति के मौके पर निर्माण कर कब्जा करने की कोशिश में उसके खिलाफ भी प्रकरण बनता है।
अब एसपी से शिकायत कर सीएसपी शुक्ला को जांच से हटाए जाने की मांग
इंदौर रोड पर नगर निगम में बंधक पड़े प्लाटों की वर्तमान कीमत 80 लाख रुपए से अधिक है। मालनवासा निवासी रघुनाथ ने नागझिरी, माधवनगर व नानाखेड़ा थाने सहित माधवनगर एवं नानाखेड़ा सीएसपी को छोड़कर सीधे कोतवाली थाने में ही क्यों शिकायत की और जांच कोतवाली सीएसपी पल्लवी शुक्ला के पास कैसे पहुंची। ये जानकारी तो ठीक से सामने नहीं आ सकी है लेकिन इसके पहले प्रार्थी महेश सुगंधी ने 29 जुलाई को आईजी राकेश गुप्ता व 30 जुलाई को एसपी मनोज सिंह से लिखित शिकायत कर कोतवाली सीएसपी शुक्ला को इस जांच से हटाए जाने की मांग की है। प्रार्थी सुगंधी ने डेरिंग ऑफ न्यूज़ को बताया कि- "उन्हें किसी भी जांच से कोई इंकार नहीं लेकिन वे कोतवाली सीएसपी पल्लवी शुक्ला से अपने मामले की जांच नहीं करवाना चाहते क्योंकि मौखिक तौर पर सीएसपी शुक्ला अपने हिसाब से मेरे बयान दर्ज करवाना चाहती हैं। वे अपने पद का दुरुपयोग कर सही को गलत और गलत को सही कर अपना कोई निजी फायदा करना चाहती हैं। हमेशा मिलने पर वे जांच पर कम और समझौते के लिए अधिक दवाब बनाती हैं और समझौता नहीं करने पर झूठी एफआईआर दर्ज कर चमड़े तोड़ने की धमकी देती है। फिर भी मेरे द्वारा अपने लिखित कथन सीएसपी शुक्ला को प्रेषित कर दिए गए हैं"