डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
लिफाफों को सूटकेस में भरते या छिपाते हुए वायरल वीडियो देख राज्य सरकार ने शनिवार देर रात प्रदेश ट्रांसपोर्ट कमिश्नर व्ही मधुकुमार को तत्काल प्रभाव से पद से हटा पीएचक्यू अटैच कर दिया। सूटकेस में लिफाफे भरते या छिपाते उनका ये वायरल वीडियो तब का बताया जाता है, जब वे उज्जैन आईजी कार्यालय में बतौर एडीजी पदस्थ थे।
हालांकि 18 मार्च 2013 में वे बतौर आईजी उज्जैन में पदस्थ हुए थे। संभवतः उन्हें उज्जैन में ऐसे आईजी का गौरव प्राप्त है, जो 2013 से 2018 तक प्रदेश में भाजपा सरकार से अधिक समय तक उज्जैन में बतौर आईजी व एडीजी पदस्थ रहे। वे करीब सवा पांच साल तक उज्जैन संभाग के आईजी व एडीजी रहे। अब बात करते हैं। उज्जैन आईजी कार्यालय और लिफाफे की। उज्जैन आईजी कार्यालय से लिफाफे के जुड़ने का एक जबरदस्त किस्सा पहले भी हो चुका है लेकिन तब ये किस्सा ताजा किस्से से ठीक उलटा था। तब उज्जैन आईजी कार्यालय में बतौर संभाग आईजी पवन जैन पदस्थ थे। शाजापुर जिले से एक टीआई उनसे मिलने के लिए कार्यालय आया हुआ था। उसकी थाने और इलाके में खासी धाक थी। उक्त टीआई ने रौब से कालर ऊंची कर पहले इधर-उधर की बात की फिर अचानक अपनी जेब से निकाल एक लिफाफा आईजी की टेबल पर परोस दिया। ये देखते ही आईजी जैन गुस्से से तमतमा गए और उन्होंने टीआई को डॉक्टर डेंग मान एक जोरदार तमाचा रसीद कर दिया। तमाचा पढ़ते ही उक्त टीआई बच्चे की भांति जमकर रोने लगा। इस तमाचे की गूंज आज भी उज्जैन आईजी कार्यालय में गूंजती हुई सुनाई दे सकती है।
जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि सूटकेस से लिफाफे आखिर जाते कहां थे ?
बताया जाता है कि सूटकेस में लिफाफे भरते या छिपाते ट्रांसपोर्ट कमिश्नर व्ही मधुकुमार का ये वायरल वीडियो 2016 में उज्जैन संभाग के आगर-मालवा जिले स्थित सर्किट हाऊस का है। जिस तरह वीडियो में टिक-टिक की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही है। उससे स्वाभाविक है कि कैमरा दीवार में लटकी किसी घड़ी में ही छिपाया गया होगा। जिस अंदाज में अधिकारी सेल्यूट ठोंककर लिफाफे परोस रहे हैं और उज्जैन एडीजी रहते व्ही मधुकुमार उन्हें अपने सूटकेस में भर रहे हैं या फिर छिपा रहे हैं। इस हिसाब से जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि, आखिरकार सूटकेस के बाद लिफाफे जाते कहां थे। क्या इन लिफाफों में ही इतनी ताकत थी कि आईपीएस मधुकुमार भाजपा सरकार के पांच साल कार्यकाल से भी अधिक समय तक करीब सवा पांच साल उज्जैन में पदस्थ रहे और इसके बाद ईओडब्ल्यू प्रमुख रहे और फिर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की मलाईदार कुर्सी पर विराजित कर दिए गए।