डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
उज्जैन आईजी कार्यालय और लिफाफा इन दिनों पूरे देश में सुर्खियों में है। आज हम उज्जैन आईजी कार्यालय और लिफाफे के दोनों किस्सों को विस्तृत रूप में बता रहे हैं। तब एक किस्से में टीआई को थप्पड़ मार व उसे दंडित कर इन IPS ने पुलिस महकमे का नाम गौरान्वित किया था और अब सूटकेस में लिफाफे भर या छिपाने में इन IPS ने पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार किया है।
खासबात ये है कि दोनों ही अफसर IPS हैं। वर्तमान में एक डीजीपी और एक एडीजी हैं और दोनों ही उज्जैन आईजी रह चुके हैं। तब के किस्से में लिफाफा देने वाला टीआई आगर-मालवा से उज्जैन आईजी कार्यालय में आया था और अब के किस्से में खुद ये अफसर आईजी कार्यालय से उठकर आगर-मालवा जिले में थाना प्रभारियों से लिफाफा लेने पहुंचे थे। तब भी प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार थी और अब भी भाजपा की शिवराज सरकार है। तब के किस्से में ईमानदारी का कोई इनाम उक्त IPS को अब तक नहीं मिला लेकिन अब के किस्से में इन IPS को लोकायुक्त जांच में दंड अवश्य मिल सकता है। daringofnews.page में पढ़े उज्जैन आईजी कार्यालय और लिफाफा पार्ट 2...!
इसलिए इन IPS ने किया गौरान्वित
यह किस्सा 3 मार्च 2010 शाम 5.30 बजे उज्जैन आईजी कार्यालय का है। आईपीएस पवन जैन बतौर उज्जैन संभाग आईजी पदस्थ थे। इसी दौरान आगर-मालवा के बड़ौद थाने में पदस्थ टीआई सिसौदिया (पूरा नाम इसलिए नहीं दिया ताकि उनकी करतूत की शर्मिंदगी उनके परिवार को न झेलनी पड़े) होली मिलन के बहाने आईजी जैन से मिलने पहुंचे थे। जाते ही सेल्यूट ठोंककर टीआई सिसौदिया ने पहले होली की बधाई दी और फिर इधर-उधर की बात करते हुए अचानक अपनी डायरी से एक भारी लिफाफा निकाल आईजी जैन की ओर बढ़ाते हुए बोले कि सर ये होली का नजराना। इतना सुनते और देखते ही आईजी जैन आगबबूला हो गए और तपाक से कुर्सी से उठे व टीआई सिसौदिया में करारा थप्पड़ जड़ मारा। थप्पड़ की गूंज और रोने की आवाज सुनकर अन्य स्टाफ दौड़ता हुआ चेंबर में पहुंचा और टीआई सिसौदिया को रोते हुए बाहर लाए व लाड़-प्यार से पुचकार कर चुप करवाया। इस किस्से की अधिकृत पुष्टि आईजी जैन के आदेश क्रमांक ps/126-N/10 व पुलिस मुख्यालय भोपाल के आदेश क्रमांक पु.मु./23/बी-1/(14-12)/f22-D/12 से की जा सकती है। जिसमें इस कृत्य के लिए आईजी जैन ने टीआई सिसौदिया को अनिवार्य सेवानिवृति की सजा 25 जुलाई 2011 को दी व फिर पुलिस मुख्यालय ने पुनः सुनवाई करते हुए टीआई सिसौदिया को सेवा में बहाल कर टीआई से फिर एसआई पद पर वापसी की। इन्हीं आदेश में टीआई सिसौदिया द्वारा लिफाफे में रिश्वत रखे जाने का भी जिक्र किया है। इस तरह सुरक्षित स्थान होने पर भी लिफाफा न लेते हुए और इस कृत्य के लिए टीआई को दंडित कर आईपीएस पवन जैन ने पुलिस महकमे का नाम गौरान्वित किया है।
इनका कहना
टीआई का नाम तो याद नहीं है लेकिन घटनाक्रम पूरा सत्य है। लिफाफा देने के प्रयास के कदाचरण में मैंने उक्त टीआई के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई व आरोप सही पाए जाने पर उसे पुलिस सेवा से बर्खास्त किया।
- पवन जैन, तब उज्जैन आईजी और अब पुलिस महानिदेशक व संचालक खेल एवं युवा कल्याण
इसलिए इन IPS ने किया शर्मसार
यह किस्सा 2016 का बताया जाता है। तब IPS व्ही मधुकुमार उज्जैन संभाग आईजी पदस्थ थे। वे 18 मार्च 2013 को उज्जैन आईजी के तौर पर आए थे और करीब सवा 5 साल तक एडीजी के तौर पर भी रहकर 10 मई 2018 को उज्जैन से रवाना हुए थे। ताजा वायरल वीडियो में वे आगर-मालवा जिले के सर्किट या रेस्ट हाउस में थाना प्रभारियों से अलग-अलग लिफाफे लेकर अपने सूटकेस में भरते या फिर छिपाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होते ही राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से हटाते हुए पीएचक्यू अटैच कर दिया। अंजान मोबाइल नंबर से लिफाफा लेते हुए उनका ये वीडियो लोकायुक्त एनके गुप्ता को भी भेजा गया था। जिस पर उन्होंने स्वतः ही संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के लोकायुक्त संगठन डीजी को निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक वीडियो में दिखाई दे रही एडीजी मधुकुमार की प्रवृत्ति को लोकायुक्त ने मासिक रिश्वत माना है। इस कारण ही उनके खिलाफ जांच पंजीबद्ध कर पुख्ता जांच शुरू की गई है। इस प्रकार इस तरह के विडियो सार्वजनिक होते ही आईपीएस मधुकुमार से पुलिस महकमा शर्मसार हुआ है।
इनका कहना
उस मामले में मैं कोई बात नहीं करूंगा। (ये कहते ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया)
-व्ही मधुकुमार, तब उज्जैन आईजी और अब एडीजी मुख्यालय अटैच