डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
प्रख्यात व कुख्यात दोनों ही देश या दुनिया में पहचाने जाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि प्रख्यात अच्छे कामों के लिए और कुख्यात बुरे कामों के लिए पहचाना जाता है। प्रख्यात बनने के लिए खुद ही मेहनत करनी होती है और इसमें हर बुरी या अच्छी ताकतों से लड़ते हुए काफी समय लगता है जबकि कुख्यात बनने में खादी और खाकी के गठजोड़ की खासी मदद मिल जाती है और पल में ही वह रुपयों या डॉलरों के बंडलों से खेल सकता है। कई मर्तबा इन बंडलों को सोरने के लिए जेसीबी की मदद भी लगती है।
उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर में सरेंडर और अगले दिन कानपुर के समीप यूपी पुलिस द्वारा एनकाउंटर में ढेर गैंगस्टर विकास दुबे की कुख्यात बनने की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उसे मामूली गुंडे से गैंगस्टर बनाने में खाकी और खादी के गठजोड़ की काफी सराहनीय भूमिका रही है। प्रस्तुत है daringofnews.page में महाकाल मंदिर में सरेंडर और यूपी पुलिस द्वारा एनकाउंटर में ढेर गैंगस्टर विकास दुबे की कुख्यात बनने की ये कहानी...!
गैंगस्टर विकास दुबे का कुख्यातनामा
■ विकास दुबे उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले के चौबेपुर थाना स्थित बिकरु गांव का निवासी था।
■ थाना चौबेपुर के क्षेत्र में ही गंगा नदी आती है। जहां तब भी और अब भी बालू रेती का अवैध खनन होता है।
■ रोजाना लाखों के अवैध खनन पर उसका ही कब्जा रहता है, जो बाहुबली होता है और जिसे खाकी और खादी के गठजोड़ का साथ होता है।
■ रोजाना लाखों के इस अवैध खनन में समय-समय पर खाकी के चेहरे बदलते रहते हैं और खादी का चेहरा या तो पांच साल में बदल जाता है या फिर रिपीट हो जाता है लेकिन कब्जाधारी बाहुबली दिखने वाला चेहरा तब तक स्थायी रहता है, जब तक वह लंबे अंतराल तक जेल नहीं चला जाए या फिर उसकी मौत न हो जाए।
■ इस अवैध बालू खनन कारोबार में दिखने वाला बाहुबली चेहरा गैंगस्टर विकास दुबे का था और उसके सहयोगी के तौर पर अदृश्य खाकी और खादी का गठजोड़ था।
■ 20 साल की उम्र में विकास दुबे मारपीट की दो-तीन घटनाओं के बाद मामूली गुंडा कहलाता था। इन वारदातों के बाद ही उसकी शिवली और चौबेपुर थाने में आने-जाने की शुरूआत हुई थी।
■ पहली हत्या बहन के साथ छेड़छाड़ करने वाले की की थी।
■ लेकिन करीब 22 साल की उम्र में वह पहली बार तब चर्चाओं में आया था, जब उसने शिवली थाना अंतर्गत ताराचंद इंटर कॉलेज पर कब्जा करने के लिए उसके प्रबंधक व प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे की हत्या की थी।
■ इस सनसनीखेज हत्याकांड से चर्चाओं में आने के बाद ही खाकी और खादी के गठजोड़ ने उस पर नजर दौड़ाई थी। जेल से रिहा होने के बाद दुबे ने अवैध बालू रेती के अवैध खनन में हस्तक्षेप की शुरुआत कर दी थी।
■ इसी विवाद में उसने 2001 में भाजपा के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की शिवली थाने के अंदर ही हत्या कर दी थी। तब खादी और खाकी के गठजोड़ की मदद से ही वह इस सनसनीखेज हत्याकांड से बरी हुआ था।
■ इसके बाद खुद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता और फिर पत्नी ऋचा दुबे को यही चुनाव जिताया।
■ इसी दौरान इन अवैध कारोबार के लिए उसे फाइनेंसर जय वाजपेयी का साथ मिल गया, जिसके खाकी और खादी से हम प्याला और हम निवाला नजदीकी संबंध थे। वह उसकी काली कमाई को सफेद करने का खास मददगार बन गया।
■ राइट हैंड के तौर पर अमर दुबे (जिसका भी यूपी पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया) मिल गया।
■ यहां तक पहुचने के सफर में उसके खिलाफ करीब 60 संगीन मुकदमे दर्ज हुए लेकिन खाकी और खादी के गठजोड़ की मदद से एनकाउंटर से 7-8 दिन पहले तक वह वीआईपी जिंदगी जीता रहा।
■ उसका एक पुत्र इंग्लैंड और एक पुत्र बैंकांक में पढ़ाई कर रहा है। उसका लखनऊ में आलीशान बंगला सहित करीब 14-15 मकान हैं।
■ कुल मिलाकर गैंगस्टर विकास दुबे की कुख्यात बनने की जिंदगी और उसके सहयोगी के तौर पर खाकी और खादी के गठजोड़ की कहानी को आप बॉलीवुड फिल्म वास्तव के रघु से जोड़कर आसानी से समझ सकते हैं।
यहां से खाकी और खादी के संबंध में आई दरार और तब एक डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर हुआ फरार
गंगा नदी में जिस स्थान पर रोजाना अवैध बालू रेती खनन कारोबार होता है। वह चौबेपुर थाना अंतर्गत आता है और चौबेपुर थाना बिल्लोर अनुविभाग में आता है।
■ बिल्लोर अनुविभाग में चौबेपुर, शिवली सहित एक-दो थाने और आते हैं।
■ इस अनुविभाग के CO (सर्कल ऑफिसर) शहीद अफसर डीएसपी देवेंद्र मिश्रा थे जबकि जिस चौबेपुर थाना अंतर्गत गंगा नदी में बालू रेत का अवैध खनन होता है। उस थाने के एसएचओ (स्टेशन हेड ऑफीसर) विनय कुमार तिवारी (जो अभी इसी प्रकरण में जेल में हैं) थे।
■ सूत्रों की माने तो यहां रोजाना 300 डंपर बालू रेती की अवैध खुदाई की जाती है। एक डंपर खुदाई पर 10 हजार रुपए अवैध कमाई है। इस तरह 300 डंपर पर रोजाना 30 लाख रुपए अवैध कमाई है और हर माह इस अवैध कमाई का आंकड़ा 90 लाख रुपए तक पहुंचता है। जिसमें खाकी और खादी के गठजोड़ का भी हिस्सा रहता है।
■ यहां स्थानीय तौर पर अभी भाजपा से भगवती सागर विधायक हैं।
■ शहीद CO देवेंद्र मिश्रा के हमदर्दी का पलड़ा विधायक सागर की ओर झुक गया था और एसएचओ विनय तिवारी का पलड़ा गैंगस्टर विकास दुबे की ओर झुका रहता था।
■ सूत्र ही बताते है कि विधायक सागर गैंगस्टर दुबे को गिरफ्तार करवाना चाहते थे लेकिन CO मिश्रा के निर्देश पर भी एसएचओ तिवारी उसे गिरफ्तार नहीं कर रहे थे।
■ घटना वाले दिन 2 जुलाई को CO मिश्रा ने निर्देश दिए थे कि वे गैंगस्टर दुबे को गिरफ्तार कर लाए लेकिन एसएचओ तिवारी ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि वे इस लफड़े में पड़ना नहीं चाहते। आपको गिरफ्तार करना है तो आप ही गिरफ्तार कर ले जाएं।
■ थाने से ये जानकारी गैंगस्टर दुबे को लगी। अब CO मिश्रा ने फोन लगाया या फिर गैंगस्टर दुबे ने उन्हें लगाया लेकिन इसी दौरान गैंगस्टर दुबे ने धमकी दी कि गिरफ्तार करने गांव आ मत जाना । नहीं तो यहीं दफन कर दूंगा।
■ इसी दिन रात करीब 12 बजे डीएसपी मिश्रा चौबेपुर थाना पुलिस को छोड़ शिवली व अपने अनुविभाग की अन्य पुलिस साथ लेकर गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने उसके गांव बिकरु पहुंचे।
■ जहां रात 12 से 2 बजे तक फायरिंग में CO देवेंद्र मिश्रा सहित 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर गैंगस्टर दुबे और उसके साथी फरार हो गए।
■ 9 जुलाई सुबह गैंगस्टर दुबे ने नाटकीय घटनाक्रम के तहत खुद उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर किया। देर शाम उज्जैन पुलिस ने उसे यूपी पुलिस के हवाले किया।
■ जहां अगले दिन 10 जुलाई सुबह कानपुर के समीप यूपी पुलिस द्वारा एनकाउंटर में गैंगस्टर दुबे का अंत हो गया।
(नोट- जानकारी अतिविश्वनीय सूत्रों के मुताबिक)