डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
सियासी उठापटक के बाद साढ़े 17 साल में 15 साल सत्ता में रही और इस साल मार्च में फिर काबिज हुई भाजपा की शिवराज सरकार का एक निर्णय इन दिनों खासा चर्चाओं में है। हाल ही में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के आदेश पर प्रदेश के इन पुलिसकर्मियों को ये टोपी पहनाई गई है।
ये पुलिसकर्मी 52 जिलों के कांस्टेबल व हेडकांस्टेबल हैं, जो गृहमंत्री मिश्रा के आदेश पर परिवर्तित नई नीले रंग की टोपी पहनकर घूमने लगे हैं। जिस पर कोरोना संकट के दौरान गृहमंत्री मिश्रा के आदेश पर पहनाई गई इस टोपी की पुलिस महकमे व राजनीतिक दलों में अलग-अलग प्रकार की चर्चा है।
गृहमंत्री के आदेश पर पहनाई इस नई टोपी को ऐसे समझे
दरअसल इस नई टोपी से पहले प्रदेश के कांस्टेबल और हेडकांस्टेबल खाकी पर नीले रंग की गोल टोपी पहनते थे। जिस पर अलग से लोहे का पालिसनुमा पुलिस का सफेद बेच लगाया जाता था लेकिन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के आदेश के बाद इस टोपी का रंग नीला ही रखा गया है लेकिन इसका स्वरूप गोल से बदलकर फेशनेबल कर दिया गया है। देखने में ये टोपी आम युवाओं की केप नजर आएगी लेकिन इस पर आगे की ओर पुलिस का बेच प्रिण्टेट है।
तीसरी बार बदला गया खाकी में टोपी का स्वरूप
पुलिस का जन्म 1854 में माना जाता है। तब अंग्रेजों ने इसे भारतवंशियों के खिलाफ खड़ा किया था। पुलिस जन्म के तीन साल बाद ही 1857 में आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी। 1947 में आजाद भारत के बाद मध्यप्रदेश में खाकी वर्दी पर टोपी का स्वरूप संभवतः तीन बार बदला गया। सबसे पहले पुलिसकर्मी खाकी वर्दी पर नाव की तरह दिखने वाली नीली टोपी लगाते थे। इसके बाद इस टोपी का स्वरूप गोल किया गया और अब इसे फेशनेबल केप का स्वरूप दे दिया गया। पहले होमगार्ड की टोपी गोल खाकी रंग की हुआ करती थी लेकिन कुछ साल पहले इसका रंग बदलकर नीला कर दिया गया। जिस पर कंधे पर मप्रनसे का बेच देखकर ही पहचाना जा सकता है कि वह पुलिसकर्मी नहीं बल्कि होमगार्ड जवान है।