डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
कोरोना संकट के बीच केरियर पर असक्षम कार्यशैली का काला टीका लगाकर सोमवार रात राज्य सरकार ने उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्र को हटा दिया। अब उनके स्थान पर इंदौर निगमायुक्त रहे आशीष सिंह को उज्जैन कलेक्टर बनाकर भेजा गया है। ये वे कलेक्टर हैं, जब उज्जैन में निगमायुक्त रहते एक इंजीनियर ने इनकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में की थी।
बहरहाल नवागत कलेक्टर आशीष सिंह ने मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे अपना पदभार ग्रहण कर लिया। ज्वाइनिंग से पहले वे सीधे महाकाल मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने बाहर से ही शिखर दर्शन किए और उज्जैन की खुशहाली की कामना बाबा महाकाल और माँ हरसिद्धि से की। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कोरोना संकट को लेकर बैठक भी ली और संबंधित अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिए।
ये हैं वे इंजीनियर, जिन्होंने 2016 में तब के निगमायुक्त और आज के कलेक्टर की मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में की थी शिकायत
नवागत कलेक्टर आशीष सिंह 2016-17 में उज्जैन नगर निगम आयुक्त भी रह चुके हैं। तब नगर निगम इंजीनियर मुकेश गर्ग ने उनकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में की थी। शिकायत में जिक्र था कि निगमायुक्त सिंह ने अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल कर व सीनियर को दरकिनार कर जूनियर इंजीनियर गायकवाड़ को एई का प्रभार सौंप दिया। इस शिकायत की जांच अभी किसी लेवल पर चल रही है या फिर L-4 पर जाकर नस्तीबद्ध हो गई है। इसकी सही जानकारी अभी सामने नहीं आ सकी है लेकिन इतना जरूर है कि इस शिकायत की जानकारी लगने पर तब निगमायुक्त रहे सिंह ने ताबड़तोड़ निर्णय लेते हुए इंजीनियर गर्ग को उनके मूल विभाग पीएचई भेज दिया था। इंजीनियर गर्ग वर्तमान में कहां पदस्थ हैं, ये सहित शिकायत संबंधित अधिक जानकारी के लिए उनके मोबाइल नंबर 94068-01054 पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
एक परिचय नवागत कलेक्टर सिंह और उनकी वर्किंग स्टाइल का
■ कलेक्टर आशीष सिंह 2010 बैच के आईएएस अफसर हैं।
■ शिक्षा इनकी बीए है और ये मूलतः उत्तर प्रदेश के हरदोई के निवासी है।
■ सिंहस्थ 2016 में ये बतौर अपर आयुक्त ये अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सिंहस्थ समाप्ति के बाद ये उज्जैन नगर निगम आयुक्त बने थे।
■ बतौर निगमायुक्त उज्जैन में इनकी प्रधानमंत्री आवास योजना और आवारा मवेशियों पर की गई कार्रवाई आज भी सराही जाती है।
■ इसके बाद ये देवास कलेक्टर रहे और करीब दो-ढाई साल से ये इंदौर निगमायुक्त थे।
■ बतौर निगमायुक्त इंदौर मनीष सिंह के कार्यो को इन्होंने आगे बढ़ाया और सफाई व्यवस्था में इंदौर को देश में नंबर 1 बरकरार रखा।
■ हार्डवर्किंग के लिए पहचाने जाते हैं और दफ्तर से ज्यादा फील्ड पर काम करने के इच्छुक रहते हैं।
■ टीम वर्क से ही काम करते हैं। टीम में जांबाज, जुझारू और मेहनती वर्कर को ही स्थान देते हैं।
■ आमजनता को राहत देने वाले निर्णय तत्काल लेते हैं फिर भले ही कोई जनप्रतिनिधि नाराज हो जाए।
■ इंदौर में निगमायुक्त रहते करीब 300 कामचोर नगर निगम कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर चुके हैं।
■ इनमें करीब 80 कर्मचारी एक ही दिन में हटाये गए थे। ये वे कर्मचारी थे, जो शुद्ध रूप से नेताओं के चमचे थे।
■ वे चाकरी नेताओं की करते थे और बगैर नौकरी करे मुफ्त का संविदा वेतन सरकार से लेते थे।
■ निगमायुक्त रहते उज्जैन का ही इनका एक किस्सा है, जो अखबारों में भले ही सुर्खियां न बना हो लेकिन अफसर और नेताओं की जुबान पर चर्चाओं में रहा था।
■ मवेशियों के अवैध बाड़े ढहाए जाने के दौरान एक विधायक ने मौके पर आपत्ति ली थी और अपनी नेतागिरी झाड़ी थी। जिस पर निगमायुक्त रहे सिंह ने उन्हें स्पष्ट कर दिया था कि आप भले ही झूठी-सच्ची शिकायत कर दे लेकिन कार्रवाई तो जारी रहेगी।
■ ये सुनते ही उक्त विधायक खीसे बबोरते हुए कार्यकर्ताओं को साथ लेकर निकल लिए थे।
■ कुल मिलाकर नवागत कलेक्टर सिंह आमजनता के लिए तो हमेशा राहत हैं लेकिन नेताओं के लिए कभी-कभी आफत भी हैं।