कोरोना के चक्रव्यूह से हमें बचाने के लिए अब पुलिस के इस योद्धा ने अपनी जान न्योछावर कर दी, इतनी समझाइश से तो जानवर भी समझ जाते है, हम तो फिर भी इंसान हैं

डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
एक कहावत है, जो इंसान होता है दिल उसी का पसीजता है लेकिन इस भयाभव माहौल में इसके उलट बेघर सड़कों पर मंडराने वाले जानवर तो समझदारी बरत रहे हैं लेकिन घरबार होने पर भी कुछ खुराफाती इंसान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। वे अपनी खुराफात से अपनी जान तो संकट में डाल ही रहे हैं साथ ही उन योद्धाओं के लिए भी परेशानी खड़ी कर रहे हैं, जो कोरोना संकट के बीच हमारे लिए मोर्चा लेकर डटे हुए हैं। ये अपनी खुराफातों से ये भी भूल गए है कि ख़ाकीवर्दी के पीछे भी एक इंसान है, जो अपने परिवार की चिंता दरकिनार कर कठिन संकट के इस दौर में हमारी सुरक्षा के लिए 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात है। मध्यप्रदेश के लिए ये दूसरी बड़ी दुःखद खबर है, जब कोरोना संकट के चक्रव्यूह से हमें बचाने के लिए अब पुलिस महकमे से उज्जैन के एक टीआई ने अपनी जान न्योछावर कर दी।
कोरोना वायरस से लड़ते-लड़ते शहीद हुए ये टीआई यशवंत पाल हैं, जो नीलगंगा थाने पर पदस्थ थे। वैश्विक कोविड 19 महामारी के दौरान ये अपने थाना क्षेत्र के कोरोना कंटेन्मेंट एरिया अंबर कॉलोनी में अपनी जान की परवाह करे बगैर अपना पुलिस ड्यूटी धर्म निभा रहे थे। इसी बीच कोरोना वायरस ने इन्हें अपनी चपेट में ले लिया था। करीब 12-13 दिनों से इनका इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में उपचार चल रहा था। जहां 21 अप्रैल सुबह करीब 5 बजे ये कोरोना वायरस से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। इस खबर के बाद से ही उज्जैन पुलिस महकमे में गमगीन माहौल है। वे सभी पुलिस परिवार भी दहशत में हैं, जिनके सदस्य हमारी सुरक्षा के लिए 24 घंटे मैदान में डटे हुए हैं। कुल मिलाकर इतनी समझाइश से तो जानवर भी समझ जाते हैं, हम तो फिर भी एक इंसान हैं।


एक परिचय शहीद कोरोना योद्धा टीआई श्री पाल का
योद्धा के तौर पर कोरोना से लड़ते-लड़ते शहीद हुए नीलगंगा टीआई यशवंत पाल 1982 में बतौर एसआई पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। इनका जन्म 1961 में बुरहानपुर जिले के ग्राम तातोड़ में किसान परिवार श्री भाऊलाल पाल के घर हुआ था। ये अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। प्रारंभिक शिक्षा बुरहानपुर में हुई। इंदौर के क्रिश्चियन महाविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीना पाल वर्तमान में धार जिले में बतौर तहसीलदार पदस्थ हैं। वहीं इसके पहले वे उज्जैन जिले में बतौर तहसीलदार भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इनकी दो पुत्री फाल्गुनी व निशा वर्तमान में शिक्षारत हैं। शहीद श्री पाल ने 6 नवंबर 2019 को नीलगंगा थाने का पदभार बतौर टीआई ग्रहण किया था। इसके कुछ सालों पहले भी वे उज्जैन जिले में अपनी सेवाएं दे चुके थे। इस दौरान उन्होंने ट्रैफिक टीआई व झारड़ा थाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाही थी। वे बहुत ही ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित व मिलनसार पुलिस अधिकारी थे।


हताश करना आसान लेकिन हौसला बढ़ाना बहुत कठिन
चूंकि कोरोना संकट युद्ध में टीआई यशवंत पाल शहीद हुए हैं इसलिए अभी पुलिस महकमे पर ही बात करना उचित होगा। इस महकमे में संभाग के मुखिया आईजी राकेश गुप्ता हैं और जिले के मुखिया एसपी सचिनकुमार अतुलकर हैं। इनके निकट सहयोगी के तौर पर दाएं व बाएं मजबूत दो हांथ एएसपी अमरेंद्र सिंह व एएसपी रूपेश द्विवेदी हैं। इन मजबूत हांथों की अंगुलियां सारे डीएसपी, सीएसपी, टीआई व अन्य पुलिसकर्मी हैं। ये सारी अंगुलियां जब इकट्ठी होती हैं तो मुट्ठी बन जाती है और यही मुट्ठी जब मुक्का बनकर खुराफातियों पर पड़ता है, तब ही हम जैसे साधारण लोग किसी भी संकट में राहत की सांस ले पाते हैं। कुछ खुराफाती पुलिस महकमे में भी हैं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन इनकी स्थिति किसी भी शरीर पर अनचाहे अंगों जैसी है। इससे इनके होने न होने से पुलिस के शरीर को भी कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। चूंकि ये अनचाहे अंग पुलिस शरीर पर ही उगे है इसलिए इनकी हरकतों का खामियाजा पुलिस को ही भुगतना पड़ता है। अब बात कोरोना संकट में पुलिस की बुराई या तारीफ की, तो इस भयंकर संकट में पुलिस की हताश करना आसान है लेकिन उनका हौसला बढ़ाना बहुत कठिन काम हैं। उज्जैन जिले की ये खुशनसीबी है कि यहां आईजी के तौर पर आईपीएस राकेश गुप्ता और एसपी के तौर पर आईपीएस सचिनकुमार अतुलकर पदस्थ हैं। दोनों ही अफसर अपनी कार्यशैली, व्यवहार व अनुशासन के बलबूते पूरे प्रदेश व देश में पहचाने जाते हैं। जिस पर इस कोरोना संकट के बीच हम सब को चाहिए कि यदि हमें सुरक्षित रहना है तो इनकी बातों व निर्देशों का अक्षरश पालन करे और संभाग व जिले से कोरोना वायरस भागने में इनका सहयोग कर अपनी व अपने परिवार की भी मदद करें वरना ये तो दूसरे संभाग या जिले में भी जाकर आईजी व एसपी ही रहेंगे।
इनका कहना
उज्जैन के नीलगंगा थाना प्रभारी श्री यशवंत पाल ने कोरोना के खिलाफ साहसिक जंग लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। एक हफ्ते में मध्यप्रदेश पुलिस के दो बहादुर अधिकारियों ने कर्तव्यपथ पर प्राण न्योछावर कर दिए। इनके बलिदान से हम शोकाकुल हैं। यशवंत की शहादत को कोटिशः नमन व श्रद्धांजलि।
-विवेक जौहरी, डीजीपी मध्यप्रदेश


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