डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
सही नाम शैलेन्द्र व्यास, सही काम सरकारी शिक्षक, दावा श्मशान व कब्रिस्तान में भी गमगीनों को हंसाने का। इसलिए चलन में छद्म नाम स्वामी मुस्कुराके। बहरूपिए के तौर पर ख्याति इसलिए मिली कि करीब साल भर पहले दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बहरूपिया सम्मेलन में शामिल होकर उज्जैन जिले के बहरूपियों का प्रतिनिधित्व किया और अपनी बहरूपिया कला का प्रदर्शन किया।
आज यानी गुरुवार दोपहर इन्हीं बहुमुखी प्रतिभा के धनी इन बहरूपिए व स्वामी मुस्कुराके के चेहरे पर तब उदासी छा गई, जब उनसे मीडिया ने एक के बाद एक कई सवाल किए। मीडिया के प्रश्नों से वे इतने हताश हो गए कि कई बार उन्होंने दिखावे के लिए मुस्कुराने का नाटक किया लेकिन चेहरे की उनकी नूरानी हंसी फिर भी ना दिख सकी। प्रस्तुत है डेरिंग ऑफ न्यूज़ की एक रिपोर्ट...
इसलिए मीडिया के सवालों पर बगले झांकने लगे व्यास
सही नाम शैलेन्द्र व्यास, छद्म नाम स्वामी मुस्कुराके व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाम बहरूपिया इसलिए मीडिया के सवालों पर बगले झांकने लगे कि क्योंकि उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि IBBFF (इंडियन बॉडी बिल्डिंग & फिटनेस फेडरेशन) से निकाले गए शकेब कुरेशी फर्जी एसोसिएशन के जरिए 7 मार्च को शहर में बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता करवा रहे है, जो कि गलत है और इससे नए बॉडी बिल्डर प्रतियोगी भ्रमित हो रहे हैं। इस जानकारी के प्रति उत्तर में मीडिया ने उनसे सवाल किया कि आप भी इसके पहले करीब 25 साल IBBFF को अपनी मातृ संस्था बताते आए है लेकिन इसी संस्था (IBBFF) ने एंटी एक्टिविटी का हवाला देकर आपको 24 मार्च 2018 को बाहर निकाल दिया और इसके बाद आप IBBF (इंडियन बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन) के साथ जुड़े और अब इसे ही फर्जी बता रहे हैं। इन सवालों के बाद वे कुछ तो भी ऊलजलूल जवाब देने लगे। जिसके बाद मीडिया ने उनकी जमकर खिंचाई करी। कुल मिलाकर उनके जवाबो से एक कहावत झलक रही थी-"जैसे बहरूपिए की दाढ़ी में तिनका"
मीडिया के इन सवालों का नहीं दे सके सही जवाब
■ ये प्रेसवार्ता आपने इंदौर में आयोजित मिस्टर इंडिया बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता के बारे में ली है या फिर उज्जैन में 7 मार्च को आयोजित होने वाली बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता का विरोध करने के लिए।
■ आपका कहना है कि IBBFF द्वारा आपको निकाले जाने का नोटिस फर्जी है, तो किस आधार पर ये मान ले कि ये नोटिस फर्जी है।
■ आपके प्रेसनोट में सदस्य के तौर पर सुरेंद्र मालवीय व भूपेंद्र सिंह बैस के नाम का भी जिक्र है लेकिन वे नहीं दिखाई दे रहे है। सुना है कि आपकी क्रियाकलापों से नाराज होकर उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है।
■ बिना पद पर रहते हुए आपने 12 लोगों को संस्था के नाम पर उपकृत करवाया। वह किस आधार पर किया। क्या रेलयात्रा व अन्य खर्च आपने अपनी जेब से उठाया।
■ यदि सुरेंद्र मालवीय सरकारी कर्मचारी हैं और वह ड्यूटी पर होने की वजह से प्रेसवार्ता में शामिल नहीं हो सके हैं तो आप भी सरकारी शिक्षक हैं फिर ड्यूटी पर होने की बजाए आप यहां बैठकर प्रेसवार्ता कैसे ले रहे हैं।
■ यदि आपके पिताश्री की तबियत खराब है और इस कारण आपने 4 दिन की छुट्टी ली है तो आप घर पर पिताजी की सेवा करने के बजाए यहां प्रेसवार्ता में क्या कर रहे हैं।
■ लगभग ऐसे मीडिया कई सवालों का व्यास ठीक से जवाब नहीं दे पाए।