डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
उज्जैन पुलिस महकमे की एक ब्रांच इन दिनों छोटे-मोटे सटोरिए और जुआरियों पर दांव मारने के लिए खासी सुर्खियों में है। जिले की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाए रखने के इरादे से यदि एसपी सचिन कुमार अतुलकर का खुद बनाया गया सूचना तंत्र हटा दे तो इस ब्रांच ने अब तक सस्ती लोकप्रियता के लिए हमेशा सट्टे-जुएं के अड्डों पर ही दाव खेला है।
अब इस ब्रांच के भीतर से एक सनसनीखेज खबर बाहर आने के लिए झटपटा रही है। सनसनीखेज खबर ये है कि इस ब्रांच में बंटवारे को लेकर यहां मौजूद पुलिसकर्मियों के बीच कभी भी 'क्राइम' हो सकता है। अब बंटवारे का ये क्राइम श्रेय की होड़ के लिए भी हो सकता है। सीनियर-जूनियर काम करने की पोजीशन को लेकर भी हो सकता है। संबंधित अधिकारी के कमाऊ पूत बनने के लिए भी हो सकता है या फिर बंदी की राशि के लिए भी हो सकता है। फिलहाल बंटवारे को लेकर क्राइम की ये सनसनीखेज खबर 'ब्रांच' से बाहर निकलने के लिए जद्दोजहद कर रही है।
'प्रमोद' के साथ शामिल हुए ब्रांच में लेकिन अब बढ़ रही है कड़वाहट
जिस ब्रांच से बंटवारे को लेकर 'क्राइम' की खबर बाहर निकलने के लिए झटपटा रही है। इस ब्रांच में अभी 10-12 पुलिसकर्मियों का स्टाफ है। ब्रांच में शामिल होने से पहले ये सभी अलग-अलग थानों या फिर अन्य शाखाओं में पदस्थ थे। जिस पर इन सभी को ये ठीक से जानकारी है कि किस थाना क्षेत्र में किस स्थान पर बंदी या बगैर बंदी के जुएं-सट्टे के अड्डे कौन और क्यों संचालित करता है। तब ये इस प्रमोद (हर्ष या खुशी) के साथ ब्रांच में शामिल हुए थे कि पूरे जिले के थाना क्षेत्रों के अड्डों पर आने-जाने की खुली छूट रहेगी। इनमें कुछ सीनियर पुलिसकर्मी भी हैं। जिन्हें पूरे जिले की आपराधिक भौगोलिक स्थिति की पुख्ता जानकारी है लेकिन कुछ जूनियर हैं, जिनकी जानकारी सिर्फ किसी थाना क्षेत्र स्तर तक ही सीमित है। जिस पर बंटवारे को लेकर अब इनके बीच काफी कड़वाहट हो गई है। इस वजह से प्रमोद (हर्ष या खुशी) के साथ ब्रांच में शामिल इन पुलिसकर्मियों के बीच क्राइम की सनसनीखेज खेज खबर बाहर निकलने के लिए झटपटा रही है।
तब अधिकारी पुत्र की जन्मदिन पार्टी का इम्पीरियल होटल में उठाया था पूरा खर्च, क्या इसलिए ओनलाइन क्रिकेट सट्टे को किया जुआ प्रकरण में तब्दील
पुलिस महकमे के अंदरखानों में एक चर्चा भी जोरो पर है कि हाल ही में छमछम वाले बाबा की दरगाह के समीप पकड़ाया मात्र 18 हजार रुपए का जुआ दरअसल ताशपत्ती खेल का जुआ न होकर ऑनलाइन क्रिकेट सट्टे का जुआ था। इस जुए में शामिल एक आरोपी व हाजिरवल्ली जुए में पकड़ाए एक आरोपी (दोनों) ने मिलकर पुलिस महकमे में पदस्थ एक अधिकारी के पुत्र की जन्मदिन पार्टी का होटल इम्पीरियल का पूरा खर्च उठाया था। इसलिए इस कर्ज को उतारने के लिए ही संबंधित अधिकारी के इशारे पर ऑनलाइन क्रिकेट सट्टे के प्रकरण को ताशपत्ती के जुए में तब्दील किया गया। ऐसा इसलिए कि ताकि पकड़े गए आरोपी जेल जाने से बच सके क्योंकि ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा का प्रकरण बनाने पर आरोपियों से मोबाइल जब्ती करना पढ़ते, उनके खिलाफ आईटी एक्ट की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज करना होता। ये धाराएं अजमानती जुर्म की श्रेणी में आती है। जिसके तहत आरोपियों को सीधे जेल जाना होता है लेकिन ताशपत्ती का जुआ सामाजिक बुराई की श्रेणी में आकर जमानती जुर्म है। जिसमें मौके पर ही जमानत देने का प्रावधान है। हालांकि इस चर्चा या खबर कि डेरिंग ऑफ न्यूज़ पुष्टि नहीं करता।
एक एएसपी ने चेम्बर में जाकर स्पष्ट दिया था समझा
उज्जैन जिले में करीब 4-5 एएसपी हैं। इन सभी के अपने-अपने प्रभार व क्षेत्र है। हाल ही में एक एएसपी के क्षेत्र में दूसरे एएसपी के पुलिसकर्मियों ने दबिश देकर मरणासन्न स्थिति के चार-पांच जुआरी पकड़े थे। इस करवाई में 'अंतर' देखकर वे अधिकारी 'सिंह' तरीके से खासे नाराज हुए थे। अगले दिन वे उन एएसपी ( जिनके पुलिसकर्मियों ने सस्ती लोकप्रियता के लिए उनके क्षेत्र में दबिश मारी थी) के चेंबर में गए और उनसे क्रोधित होकर स्पष्ट कहा कि-" वे यहां साथ बैठकर चाय पीने या गप्प मारने नहीं आए है बल्कि ये समझाइश देने आए है कि अगली बार से उन्होंने या उनके मातहतों ने उनकर क्षेत्र में उनकी बिना जानकारी के हस्तक्षेप किया तो उन्हें भी दूसरे के अधिकार क्षेत्र में दबिश के सारे दाव-पेंच ठीक से आते हैं'। ये समझाइश देने के बाद वे बिना बैठे ही चेंबर से बाहर निकल गए। इसके बाद समझाइश का नाश्ता करने वाले संबंधित एएसपी अपने चेम्बर में मुंह लटकाकर घंटों बैठे रहे।