डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
प्रशासन व पुलिस के अधिकारी व कर्मचारियों को आमजनता हमेशा हीरो के तौर पर ही देखना पसंद करती है। भोपाल में आयोजित आईएएस सर्विस मीट-2020 के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद कह चुके है कि अफसरों के पास जो क्षमता और कौशल है, वह सामान्यतः राजनीतिक नेतृत्व के पास नहीं रहता। पांच साल में सरकारें बदलती है। प्रशासनिक तंत्र में बदलाव होता है लेकिन अफसरों का नॉलेज, स्किल और कला नहीं बदलती। अफसरों की नई पीढ़ी को देखना होगा कि प्रदेश को किस दिशा में ले जाना है।
ऐसे में प्रदेश की किसी भी सड़क पर दल-बल और आमजन के साथ बुलेट से आईजी और एसपी का ऐसा काफिला नजर आ जाए, तब गुंडे-बदमाशों का भी शरीर डर से कांप बोल उठे कि "धक-धक करने लगा, हो मोरा जियरा डरने लगा"। हालांकि आईजी राकेश गुप्ता व एसपी सचिन कुमार अतुलकर का अलग-अलग बुलेट पर हेलमेट पहने दल-बल व आमजन के साथ ये काफिला 31 वें यातायात सप्ताह समापन समारोह के दौरान बना पर इसे देख राहगीरों में सुकून का अहसास हुआ वहीं गुंडे-बदमाशों के बीच भय व्याप्त हुआ। शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे फ्रीगंज स्थित टॉवर चौक पर यातायात डीएसपी एचएन बाथम ने आमजन के बीच हेलमेट पहन दोपहिया वाहन चलाए जाने के लिए जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई। जिसके बाद आईजी गुप्ता व एसपी अतुलकर ने हेलमेट पहन बुलेट चलाकर शहर में जनजागरूकता लाए जाने का संदेश दिया।
हर सप्ताह या 15 दिन में इसी दिशा में प्रशासन व पुलिस बढ़ाए कदम तो आमजनता को मिल सकती है राहत
मुख्यमंत्री कमलनाथ के कहे अनुसार नई पीढ़ी के अफसरों को देखना होगा कि प्रदेश को किस दिशा में ले जाना होगा। जिस पर हमारे उज्जैन जिले का सौभाग्य है कि यहां पहले से ही नई पीढ़ी के कमिश्नर अजीतकुमार, आईजी राकेश गुप्ता, कलेक्टर शशांक मिश्र, एसपी सचिन कुमार अतुलकर, निगमायुक्त ऋषि गर्ग व जिला पंचायत सीईओ नीलेश पारिख सहित अन्य अफसर मौजूद हैं। जिले की बेहतरी के लिए प्रशासन व पुलिस के ये अधिकारी जनजागरूकता वाहन रैली की तर्ज पर यदि हर सप्ताह या 15 दिन में रैंक के हिसाब से या फिर सीनियर-जूनियर के लिहाज से दल-बल के साथ बुलेट या बाइक से सड़क पर उतर आए तो इससे आमजनता को भी राहत मिल सकेगी। एक साथ बुलेट या बाइक पर दल-बल के साथ इन अधिकारियों को देख भूमाफिया, शराब या अन्य मादक पदार्थ तस्कर, अतिक्रमणकारी व गुंडे-बदमाशों के बीच भय का माहौल बनेगा वहीं आमजनता इस काफिले को देख राहत महसूस कर सकेगी।
ऐसी कार्यशैली आमजनता को बेहद पसंद लेकिन शायद ज्यादातर नेताओं को ये फूटी आंख नहीं सुहाता
चित्र में पुलिस जीप पर खड़े रहकर आमजनता के बीच भाईचारे व कानून की सीख दे रहे ये उत्तरप्रदेश के इटावा एसएसपी संतोषकुमार मिश्रा (अब रामपुर एसपी) हैं। अपनी कार्यशैली के बलबूते इनकी आमजनता में हीरो जैसी छवि है। हाल ही में इन्होंने करीब 300 लोगों को उनके चोरी हुए या फिर खोए हुए मोबाइल तलाश कर 1 जनवरी सुबह नए साल का तोहफा दिया था। करीब साल-डेढ़ साल के अपने इटावा कार्यकाल के दौरान इन्होंने गुंडे-बदमाश व डकैतों की नकेल कस आमजनता को खासी राहत पहुंचाई थी। उनके द्वारा अपने मातहतों को दी जाने वाली व्यवहारिकता की शिक्षा से आमजनता के लिए पुलिस हमदर्द बनकर उभर आई थी। शायद ये कार्यशैली यूपी के नेताओं को पसंद नहीं आई। जिस पर 4-5 दिन पहले ही उन्हें इटावा एसएसपी से बदली कर रामपुर एसपी बना दिया गया। कई उदाहरण है कि अफसर की दबंग कार्यशैली को आमजनता तो बेहद पसंद करती है लेकिन ऐसी शैली ज्यादातर नेताओं को फूटी आंख नहीं सुहाती। ऐसा ही एक उदाहरण हमारे उज्जैन जिले के कलेक्टर रहे मनीष सिंह का भी है। दबंग कार्यशैली के बलबूते आमजनता में उनकी छवि भी हीरो के तौर पर उभरने लगी थी लेकिन शायद उनकी ये छवि कुछ नेताओं को नागवार गुजरी। शायद इसी के चलते अन्य विभाग के अधिकारियों की गलती उन पर उड़ेल कर उनका भोपाल मुख्यालय तबादला करवा दिया गया।