ये मुख्यमंत्री कमलनाथ का शुद्ध के लिए युद्ध है न कि पुलिस-प्रशासन का कोई गुंडा अभियान ? शहर के ये हैं असली 'माफिया' (पार्ट-1)

डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
पहले तो ये कि माफिया क्या होता है ? माफिया वह होता है, जिस पर प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारी भी हांथ डालने से घबराए। ऐसे ही माफियाओं की अवैध दुनिया व ताकत को नेस्तनाबूद करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रशासन व पुलिस के अफसरों को फ्री-हैंड किया है।
अब ये माफिया पुलिस व प्रशासन का अफसर या कर्मचारी भी हो सकता है। भाजपा-कांग्रेस का नेता, विधायक या सांसद भी हो सकता है। वैध-अवैध गुटखा या शराब कारोबारी भी हो सकता है। ड्रग या दवा व्यापारी भी हो सकता है। शुद्ध या अशुद्ध मावा-पनीर, दूध या अन्य खाद्य व्यापारी भी हो सकता है। अखबार मालिक या खबर लिखने वाला पत्रकार भी हो सकता है। सीधे शब्दों में पैसे और पॉवर के गठजोड़ से माफिया पनपता है। पैसे से पॉवर खरीदा जा सकता है व पॉवर से अवैध व काला धन बनाया जा सकता है। जो काले धन से पॉवर खरीद ले और सही पॉवर का गलत इस्तेमाल कर काली कमाई से अचूक दौलत खड़ी कर ले वही है असली माफिया और इस माफिया के साए में फिर असंख्य गुंडे-बदमाश, सटोरिये-जुआरी व असामाजिक तत्व पलते-पोषते हैं और आमजनता का खून चूसते रहते हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार का ये माफियाओं के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध है न कि पुलिस-प्रशासन का कोई गुंडा अभियान। अभी तक माफियाओं के तौर पर शहर की जो सूची प्रकाशित की जा रही है। दरअसल वे माफिया न होकर पुलिस थाने के लिस्टेड हिस्ट्रीशीटर, गुंडे-बदमाश व सटोरिए-जुआरी हैं। ये सभी तो माफियाओं के लिए काम करते हैं। इन लोगों के खिलाफ तो पुलिस-प्रशासन समय-समय पर अभियान चलाकर नकेल कसता रहता है। ऐसा नहीं है कि शुद्ध के लिए इस युद्ध में इन गुंडे-बदमाशों को खुला छोड़ देना चाहिए बल्कि इनके खिलाफ ठोस कानूनी कार्यवाही के साथ इनके आका माफियाओं की भी अवैध दुनिया पर शासन-प्रशासन का बुल्डोजर चलना चाहिए।


ये हैं शहर के कुछ असली 'माफिया'
नहर चोरी कर खड़ी कर दी अवैध कॉलोनियां- फ्री-हैंड मिलते ही प्रशासन व पुलिस को ये पता लगाना चाहिए कि भाजपा में शामिल वे कौन माफिया हैं, जिन्होंने सिलारखेड़ी तालाब की मानपुरा से लेकर नागझिरी तक करीब 4 किमी तक जल संसाधन विभाग की नहर चोरी कर उसकी जमीन पर अवैध तरीके से आवासीय कॉलोनियां काट कर बेच दी व इमारते खड़ी कर दी। प्रशासन व पुलिस को ये भी पता लगाना चाहिए कि भाजपा में शामिल वे कौन से माफिया है, जिन्होंने 5 हजार बीघा शासकीय जमीन पर बने सिलारखेड़ी तालाब की करीब 2 हजार बीघा जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। वह भाजपा के किस विधायक का भाई है, जिसने मानपुरा व लालपुरा के बीच सिलारखेड़ी की नहर में ही करोडों रुपए का अवैध उत्खनन कर डाला। भाजपा समर्थित दुदर्शी निवासी वह कौन सा पंडित है, जिसने हाल ही में सिलारखेड़ी तालाब की सालों से कब्जा की हुई शासकीय 25 बीघा जमीन 25 लाख रुपए में बेच दी। वह कौन से गांव का भाजपा समर्थित सरपंच पति है, जिसने सिलारखेड़ी तालाब की करीब 80 बीघा जमीन पर कब्जा कर रखा है।



नहर की जमीन पर कटी कॉलोनी पर एसपी के भी प्लाट- जलसंसाधन विभाग की सिलारखेड़ी तालाब से नागझिरी तक करीब 7 किमी तक की नहर थी। वर्तमान में यह नहर करीब 3 किमी मानपुरा तक ही दिखाई देती है जबकि नागझिरी में सोयाबीन प्लांट के सामने, रुक्मणि मोटर्स के सामने व अभिलाषा कॉलोनी के सामने व नाकोड़ा हिल्स कॉलोनी के पास बनी पुलियाएं आज भी ये स्पष्ट करती है कि यहां से कभी नहर गुजरती थी। नहर के लिए अधिग्रहित निजी भूमि का मुआवजा शासन-प्रशासन बांट चुका है। बावजूद नहर चोरी कर इसकी जमीन पर कई अवैध कॉलोनी काट कर बेच दी गई। बताया जाता है कि नाकोड़ा हिल्स, टाउन शिप सहित काटी गईं कई कॉलोनी व खड़ी की गई इमारत के बीच से नहर गुजरती थी। टाउन शिप कॉलोनी में उज्जैन में एसपी रहे एक पुलिस अधिकारी के भी 2-3 प्लाट है। बताया जाता है कि उन्हें ये प्लाट भाजपा नेताओं ने नहर चोरी के मामले में आंख पर पट्टी बांधने के लिए ही मुफ्त में दिए थे। फिलहाल ये पुलिस अधिकारी प्रदेश के एक उपसंभाग में बतौर डीआईजी पदस्थ हैं।


ट्रेंचिंग ग्राउंड- फ्री-हैंड मिलते ही पुलिस व प्रशासन को जांच कर ये पता लगाना चाहिए कि मक्सी रोड बायपास स्थित नगर निगम के ट्रेंचिंग ग्राउंड की शासकीय जमीन पर कांग्रेस में शामिल कौन माफिया हड़पना चाहता है। इस भूमि को हासिल करने के लिए वह किन-किन गुंडे-बदमाशों का इस्तेमाल कर रहा है और निगम के किन अफसर व कर्मचारियों को साथ लेकर साठ-गांठ कर खेल रच रहा है।


अविका होटल- नवंबर 2017 में ही हल्का नंबर 38 के पटवारी ने उज्जैन तहसीलदार को पत्र लिखकर ये स्पष्ट कर दिया गया था कि मेट्रो टॉकीज के समीप बनी अविका होटल शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 1344 पर बनी हुई है। पत्र के जरिए तब उक्त पटवारी ने बताया था कि उक्त भूमि शासकीय दर्ज है। जिस पर गलत नंबर प्रदर्शित कर होटल निर्माण करने वाले व्यक्तियों पर प्रकरण दर्ज कर तत्काल ही शासन भूमि का बोर्ड लगाया जाए। बावजूद भाजपा में शामिल कुछ माफियाओं के दम पर शासकीय भूमि पर बनी ये अविका होटल अब तक सीना तानकर खड़ी हुई है। फ्री-हैंड मिलते ही प्रशासन व पुलिस को तत्काल ही शासकीय भूमि पर बनी इस बिल्डिंग के माफियाओं को खोज उनके खिलाफ ठोस कानूनी करवाई करनी चाहिए।


वैकुंठ धाम- प्रशासन व पुलिस को खुद संज्ञान में लेकर जांच कर ये पता लगाना चाहिए कि मक्सीरोड ओवर ब्रिज के नीचे पेट्रोल पंप के सामने वैकुंठ धाम कॉलोनी निजी भूमि पर बनाई गई है या फिर शमशान की शासकीय भूमि पर। यदि जांच में ये सामने आए कि ये कॉलोनी शमशान की भूमि पर बनाई गई है तो फिर ये पता लगाया जाए कि इसे खड़ा करने में कांग्रेस में शामिल किस माफिया का रोल है।


C-21 मॉल- फ्री-हैंड मिलते ही प्रशासन व पुलिस को ये पता लगा कार्यवाही करनी चाहिए कि नानाखेड़ा स्थित C-21 मॉल जांच की फाइल किन माफियाओं ने दबा रखी है। क्या कारण है कि जांच की फाइल ईओडब्ल्यू में सालों से रेंग रही है।


0734-4010176 पर दे सकते है गुप्त जानकारी
माफियाराज को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रशासन व पुलिस ने संयुक्त रूप से एक टेलीफोन नंबर सार्वजनिक किया है। यदि आप भाजपा- कांग्रेस नेता, शराब कारोबारी या अन्य किसी शक्ल में मौजूद माफियाओं से भी पीड़ित या परेशान हैं, तो आप 0734-4010176 पर अपनी शिकायत कर सकते है। एडीएम आरपी तिवारी के मुताबिक जानकारी देने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा।


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