डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
देवास रोड स्थित आनंद भवन में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद उज्जैन आकर 2 दिन ठहर चुके हैं। वहीं प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आकर जा चुके हैं। जिस भवन का नामकरण महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पद्म विभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास ने किया हो, उसी आनंद भवन के मालिक आनंद झंवेरी के साथ 25 लाख रुपए की ठगी हुई हैं। इस धोखाधड़ी के संबंध में माधवनगर पुलिस ने बुधवार रात करीब 9 बजे मुंबई निवासी दो ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।
माधवनगर पुलिस के मुताबिक आरोपी विशाल पिता कांतिलाल पोरवाल निवासी भारत नगर बरतो अंधेरी मुंबई व विनय पिता गिरधर महाजन निवासी 502, न्यू नीलम अपार्टमेंट 101 जेपी रोड वेस्ट मुंबई हैं। इन दोनों आरोपियों ने यूडीए से अधिग्रहित जमीन पर मुआवजा दिलवाने के नाम पर आनंद भवन के मालिक आनंद पिता राजकुमार झंवेरी (56) के साथ 25 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। दोनों आरोपियों के खिलाफ धारा 420 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर उनकी तलाश की जा रही हैं।
1920 से 1985 तक का चश्मा लगाकर जौहरी के बगीचे में स्थित इस आनंद भवन को देखे, अब इसकी 107 बीघा में से बची है एक बीघा से भी कम जमीन
देवास रोड स्थित जिस जमीन पर ये आनंद भवन स्थित है, ये कभी जौहरी के बगीचे के नाम से पहचानी जाती थी। सिंधिया स्टेट जमाने के दौरान द्वारिकदास झंवेरी हीरे-जवाहरात के बहुत बड़े व्यापारी थे। माना जाता है कि सिंधिया स्टेट के महाराज जीवाजीराव सिंधिया इन्ही से अपने हीरे-जवाहरात बनवाते थे। चूंकि द्वारिकदास झंवेरी का हीरे-जवाहरात का कारोबार था इसलिए आम जनमानस में उनकी पहचान जौहरी के नाम से प्रसिद्ध हुई। बताया जाता है कि इन्होंने करीब 107 बीघा जमीन खरीद कर 1920 में आनंद भवन की स्थापना की। 107 बीघा जमीन में बगीचे के बीच बने इस भवन को महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सूर्यनारायण व्यास ने आनंद भवन नाम दिया और आम जनमानस में जमीन की ख्याती जौहरी जी के बगीचे के रूप में फैली। इसके बाद इस विरासत को द्वारिकदास झंवेरी के पुत्र राजकुमार झंवेरी ने संभाली। उनका व्यवसाय खेती-किसानी थी। राजकुमार झंवेरी ने आनंद भवन के नाम से ही अपने इकलौते पुत्र का नाम आनंद रखा। आनंद भवन के 107 बीघा जमीन पर सरकार की सबसे पहले नजर 1975 में लगी। तब सरकार के टाउन इम्प्रूवमेंट विभाग द्वारा बगीचे की करीब 70 बीघा जमीन अधिग्रहित कर ली गई और बदले में महज 3 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। इसी जमीन पर आज पूरा ऋषि नगर व अन्य कालोनियां बसी हुई हैं। सरकार की दूसरी नजर 1984 में विकास प्राधिकरण उज्जैन बनने के बाद लगी। तब से अब तक बगीचे की बची लगभग 36 बीघा से अधिक जमीन विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित कर ली गई। इस जमीन अधिग्रहण के बदले विकास प्राधिकरण द्वारा महज 24 लाख व कुछ हजार रुपए का मुआवजा आनंद झंवेरी को दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी विकास प्राधिकरण द्वारा 1 करोड़ से अधिक मुआवजा राशि नहीं दिए जाने की लड़ाई आनंद झंवेरी अभी हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं। इसी मुआवजा राशि दिलवाए जाने को लेकर उनके साथ मुंबई निवासी दूर के रिश्तेदार व उसके साथी ने 25 लाख रुपए की ठगी को अंजाम दिया। कुल मिलाकर जौहरी जी के 107 बीघा बगीचे में से वर्तमान में महज 1 बीघा से भी कम जमीन बची है। जिस पर आनंद भवन बना हुआ है।
36 बीघा जौहरी बगीचे के इतने फलदार वृक्ष यूडीए ने काट फेंके
किस्म काटे पेड़ संख्या
आम 100
जाम 80
अनार 12
चीकू 12
संतरा 20
मौसंबी 20
नींबू 25
कबीट 04
खजूर 08
अंजीर 04
इमली 16
कटहल 04
(नोट- जानकारी यूडीए के सूत्रों के मुताबिक, इनमें काटे गए छाँवदार वृक्ष की संख्या नहीं शामिल है)