डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार का प्रदेश में शुद्ध के लिए युद्ध जारी है। इस युद्ध के चक्रव्यूह में घेरने के लिए पुलिस-प्रशासन द्वारा उज्जैन जिले के माफियाओं की भी सूची तैयार की जा रही हैं लेकिन अब तक जो नाम प्रकाशित किए गए हैं। दरअसल वे माफिया नहीं हैं बल्कि माफियाओं के साए व संरक्षण में पलने वाले पुलिस थानों के लिस्टेड गुंडे-बदमाश व सटोरिए जुआरी हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार द्वारा जारी शुद्ध के लिए इस युद्ध से आमजनता और सही रास्ते पर चलकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वालों के बीच बेहद ही खुशी का माहौल है। जबकि शुद्ध के लिए शुरू हुए इस युद्ध से माफियाओं के कुनबे में अफरा-तफरी व भयंकर डर का माहौल है। यदि प्रशासन व पुलिस इन 11 वैध-अवैध धंधों के माफियाओं को ही खोजकर उनकी अवैध दुनिया उजाड़ दे तो इनके साए व संरक्षण में पलने-पोषने वाले जिले के करीब 1100 से अधिक गुंडे-बदमाश व सटोरिए-जुआरी खुद ही नेस्तनाबूद हो जाएंगे।
ये हैं वो 11 धंधे, इनमें से पुलिस व प्रशासन खोजे 'माफिया'
शराब, ड्रग, कैसिनो, भूमि, शिक्षा, स्वास्थ्य, फूड, खनन, बस, केबल व होटल। इन्ही वैध-अवैध धंधों की आड़ में माफिया छिपे हुए हैं। ये करोड़ों रुपए राजस्व भी चोरी करते हैं। इन्हीं रुपियों से ये जरूरतमंद पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों को बाजार की आधी कीमत से रोजगार देते हैं ताकि सरकार को ये मैसेज जाए कि फलां धंधे में इन्होंने इतने पढ़े-लिखे बेरोजगार लोगों को इतना रोजगार दे रखा हैं। वहीं दूसरी और ये गुंडे-बदमाशों के पालनहार रहते हैं। सरकारी या निजी जमीन पर कब्जा करने, अवैध खनन, गांव-गांव, गली-मोहल्ले में डायरियों के जरिए अवैध शराब बिकवाने में ये गुंडे-बदमाशों की ताकत का इस्तेमाल करते हैं। ये माफिया एसी चेम्बर में बैठते हैं और विलासिता की सुख-सुविधा वाले बंगलों में रहते हैं।
हर माफिया का इतिहास एक जैसा, सभी की पुलिस व प्रशासन में लंबित होगी करीब 10-10 शिकायतें
जिले के कुछ माफिया आज जो विधायक, पार्षद, शराब कारोबारी, बस मालिक, होटल मालिक, मीडिया संचालक व कॉलोनाइजर की शक्ल में नजर आते हैं। ये कभी तटपुँजिये गुंडे-बदमाश व छिछोरे सटोरिए-जुआरी रह चुके हैं। इनके अतीत के पन्ने पलटोगे तो लगभग सभी का इतिहास एक जैसा ही दिखाई देगा। कोई साइकिल से जेब में रखकर शराब के क्वार्टर बेचते दिखाई देगा, कोई कलाली पर पापड़ तलते दिखाई देगा, तो कोई युवती से छेड़छाड़ में बीच सड़क पर पुलिस से जूते खाते हुए दिखाई देगा लेकिन ताजा स्थिति में ये खुद को प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों से भी बड़ा मानते हैं। अब इनके चेहरों पर मुखौटा भले ही नेता, संपादक, बिल्डर, व्यापारी, फलाना मालिक या ढिकाना कारोबारी का लगा हो लेकिन शुद्ध रूप से ये ही जिले के असली माफिया हैं। इनके साए व संरक्षण के बलबूते ही जिले के लगभग सभी गुंडे-बदमाश व सटोरिए-जुआरी पल-पुश रहे हैं। इन माफियाओं के 'राज' में उनके साथ जिले के कुछ काले कोट वाले, सफेद कुर्ता-पायजामा व खाकीधारी, कंधे पर बिना फ़िल्म का कैमरा टांगने वाले व शर्ट की जेब में बिना स्याही के पेन खोसने वाले भी हैं। चूंकि इन जैसे माफियाओं के खिलाफ ही ठोस कानूनी करवाई के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रशासन व पुलिस को फ्री-हैंड किया है। इन माफियाओं के खिलाफ ही पुलिस व प्रशासन में करीब 10-10 शिकायतें लंबित होगी। यदि प्रशासन व पुलिस इन माफियाओं की ये शिकायतें खोज ठीक से जांच कर इनकी अवैध दुनिया उखाड़ फेंक दे तो जिले में 1100 से अधिक गुंडे-बदमाश व सटोरिए-जुआरी तबाह हो जाएंगे। क्योंकि इन सभी के पापा ये माफिया ही हैं।