संभागायुक्त कार्यालय में इन विभाग के कर्मचारियों का 'डेरा', राजस्व अधिकारी इस भय में कि कभी भी काम डल सकता है 'मेरा'

डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
उज्जैन संभागायुक्त अजीत कुमार काम के प्रति बहुत ही जुनूनी अफसर माने जाते हैं। उनके निर्देश पर समय-सीमा पर कार्य के निराकरण पर वे अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को तत्काल इनाम देने से भी पीछे नहीं हटते वहीं समय-सीमा पर कार्य पूर्ण नहीं होने से वे दंड देने से भी नहीं चूकते लेकिन उनके कार्यालय में राजस्व विभाग के अंगुलियों पर गिने जाने वाले नामों को छोड़कर अधिकांश पशु चिकित्सा, कृषि, शिक्षा व अन्य महकमे के कर्मचारियों का डेरा है। इन बाहरी कर्मचारियों के राजस्व प्रकरणों में ज्ञान न के बराबर होने पर मूल राजस्व अधिकारी व कर्मचारियों में अब इस बात का भय व्याप्त है कि कभी भी काम डल सकता है 'मेरा'।
गौरतलब है कि संभागायुक्त अजित कुमार ने करीब 10-15 दिन पहले उज्जैन संभाग के सभी एसडीओ/एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित अन्य सभी राजस्व अधिकारियों की बैठक ली थी। इस शनिवार को उन्होंने सिंहस्थ मेला कार्यालय में उज्जैन जिले के सारे राजस्व अधिकारियों की अलग से मैराथन बैठक ली थी।जिसमें उन्होंने लंबित राजस्व प्रकरणों की बारीकी से समीक्षा की थी। यहां कमी-पेशी पाए जाने पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही जरूरत अनुसार अपने कागजी दंड से उन्हें दंडित भी किया था। साथ ही अल्टीमेटम दिया था कि अगली बैठक तक यदि लंबित प्रकरणों के निकाल में सुधार नहीं हुआ तो उनके कागजी दंड में और अधिक कठोरता शामिल हो जाएगी। तब से ही राजस्व विभाग के ये मूल अधिकारी व कर्मचारी भय से अपने-अपने लंबित प्रकरणों के निराकरण में जुटे हुए हैं। 


इसलिए राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों में भय कि कभी भी काम डल सकता है 'मेरा'
संभागायुक्त हेड कार्यालय के अधीन उपायुक्त विकास, उपायुक्त राजस्व व माफी कार्यालय भी है। इन चारों कार्यालयों में मूल राजस्व विभाग के कुछ नाम छोड़कर अधिकांशतः पशु चिकित्सा, कृषि, शिक्षा व अन्य बाहरी विभागों के कर्मचारी अटैच हैं। इनमें से कई कर्मचारी रोस्टर निरीक्षण टीम में भी शामिल हैं। इन बाहरी विभागों के कर्मचारियों को राजस्व न्यायालय के प्रकरण जैसे अपील, भू- अर्जन, नक्शा त्रुटि सुधार, डायवर्सन, निगरानी, विवादित-अविवादित बंटवारा, मुआवजा, नामांकन-सीमांकन सहित अन्य सभी प्रकरणों के विषय में जानकारी न के बराबर है। रोस्टर निरीक्षण टीम के तौर पर जब ये किसी अनुविभाग या तहसील कार्यालय में निरीक्षण के लिए जाते हैं तो वापसी में संबंधित कार्यालय द्वारा दी गई सही जानकारी को भी ये संभागायुक्त कार्यालय में ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं। जब इन्हें लगता है कि इस गलती में ये उलझ सकते हैं तो ये अपनी गलती संबंधित राजस्व अधिकारी व कर्मचारी पर ढोल देते हैं। यही कारण है कि बाहरी विभागों के इन कर्मचारियों की वजह से मूल राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों में भय है कि 'कहीं काम न डल जाए मेरा'


ज्यादातर उपायुक्तों के रहते हैं लाड़ले
ज्यादातर मौकों पर संभागायुक्त कार्यालय में अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी बतौर उपायुक्त पदस्थ रहते हैं। चूंकि बाहरी विभाग से अटैच हुए इन कर्मचारियों को राजस्व प्रकरणों का ज्ञान न के बराबर होता है इसलिए वे उपायुक्त के किसी भी निजी काम करने से कतई इंकार नहीं करते। यदि कार्यालयीन समय में भी कोई उपायुक्त उनसे कह दे कि सब्जी मंडी जाकर 5 रुपए का हरा धनिया लेकर उनके घर दे आए तो वे सारे सरकारी काम छोड़कर रॉकेट की तरह हरा धनिया देने चले जाते हैं और निजी आदेश का फायदा उठाकर अपने घर के भी काम निपटा आते हैं। राजस्व प्रकरणों का अल्प ज्ञान होने की वजह से ये ठीक से जानते हैं कि यदि किसी निजी काम के इंकार की नाराजगी की वजह से यदि इनकी उनके मूल विभाग पशु चिकित्सा या कृषि विभाग में वापसी हो गई तो मोहल्ले में इनका संभागायुक्त कार्यालय में पदस्थी का रौब गायब हो जाएगा। अभी संभागायुक्त कार्यालय में पदस्थी का इधर-उधर रौब झाड़ते रहते हैं और अपने से ऊपर अधिकारियों की मक्खन पालिश में जुटे हुए रहते हैं व उनके किसी भी निजी काम से इंकार नहीं करने के कारण ये ज्यादातर उपायुक्तों के लाड़ले रहते हैं। लाड़ले होने के कारण ये प्रकरणों के जानकार राजस्व अधिकारी व कर्मचारियों को भी संभागायुक्त कार्यालय का ख़ौफ़ देकर धमकाते रहते हैं।


एक राजस्व कर्मचारी की खा चुके हैं नौकरी, पीठ पीछे बाहरी तत्वों के नाम से पहचान
संभागायुक्त या कलेक्टर कार्यालय में पशु चिकित्सा, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य महकमे के कई कर्मचारी अटैच हैं। राजस्व कर्मचारी इनके पीठ पीछे इन्हें बाहरी तत्व कहकर पुकारते हैं। राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों का कहना है कि इन बाहरी तत्वों के राजस्व ज्ञान की कमी ने उनके विभाग के कर्मचारी की नौकरी तक खा ली। उल्लेखनीय है कि करीब 5-6 माह पहले संभागायुक्त कार्यालय में पदस्थ राजस्व कर्मचारी वसीम खान को नौकरी से बर्खास्त किया गया था। नाम न छापने की शर्त पर कुछ राजस्व अधिकारियों ने बताया कि संभागायुक्त व कलेक्टर कार्यालय में अनुविभाग या तहसील कार्यालय के कर्मचारी ही पदस्थ रहना चाहिए क्योंकि इन्हें राजस्व के हर मामलों की बेहतर जानकारी होती है। बाहरी विभाग के अटैच कर्मचारियों को उनके विभाग का तो सही ज्ञान हो सकता है लेकिन राजस्व ज्ञान कम रहने के कारण वे अपनी गलती भी हम पर थोप कर हमारे केरियर का भी नुकसान करवा देते हैं।


 


 


  


   


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