डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर निःशुल्क अन्नक्षेत्र में अब हर महिने में दो दिन श्रद्धालुओं को ये भोजन प्रसादी परोसी जाएगी। ये भोजन प्रसादी परोसे जाने का मुख्य उद्देश्य मालवा की संस्कृति व स्वाद से दुनिया को रूबरू करवाना भर है।
गौरतलब है कि महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र (नि:शुल्क) संचालित किया जा रहा हैं। नि:शुल्क अन्नक्षेत्र में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रतिदिन अलग-अलग व्यंजन भोजन प्रसादी में परोसे जाते है। प्रशासक एस.एस.रावत ने श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति की बैठक में हुए निर्णयानुसार हर माह की प्रत्येक 01 और 15 तारीख को मालवा का प्रसिद्ध दाल, बाफले, कढ़ी, लड्डू, चूरमा, चावल, सब्जी बनाने के निर्देश दिये। अब श्रद्धालुओं को मालवा का स्वाद भी भोजन के रूप में परोसा जायेगा। प्रशासक रावत के अनुसार श्रद्धालुओं को महाकाल के दर्शन के साथ ही मालवा की संस्कृति व यहां के भोजन के स्वाद को समझने के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा यह पहल की गई है।
देश में राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में मालवा के दाल-बाफलों का स्वाद पसंद किया जाता है। उसी दिशा में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध घी में बने दाल, बाफले, चूरमा माह में दो दिवस भोजन प्रसादी के रूप में देने की व्यवस्था की गई है। जिससे मालवा की परंपरा को लोग हमेशा याद रख सके। 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर इस व्यवस्था की शुरुआत कर दी गई। महाकाल दर्शन के लिए हरियाणा से आईं श्रद्धालु किरण शर्मा ने बताया कि महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र में परिवार सहित भोजन प्रसादी ग्रहण की। मालवा के परंपरागत भोजन दाल-बाफले का स्वाद पहली बार चखा। ये भोजन प्रसादी उन्हें व उनके परिवार को बहुत ही स्वादिष्ट लगी। इसके अतिरिक्त और भी श्रद्धालुओं ने सामुहिक रूप से एक स्वर में महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था व भोजन प्रसादी की खुलकर प्रशंसा की।