मध्यप्रदेश में किसानों के लिए भाजपा का आक्रोश सही या फिर कांग्रेस का धरना गलत...नहीं समझ आया, समझना है तो क्लिक करे, खबर पढ़े और समझें ?

डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
देश की आजादी को 72 साल से अधिक हो गए हैं फिर भी अभी 40-50 प्रतिशत आबादी ऐसी होगी, जो अब तक ये नहीं समझ पाई है कि देश के विकास में केंद्र सरकार की भूमिका क्या रहती है और राज्य सरकार का क्या दायित्व होता है। ये आबादी शायद अब-तक ये भी नहीं समझ पाई है कि सांसद के क्या काम होते हैं और विधायक, पार्षद, जिला व जनपद पंचायत सदस्य या फिर सरपंच के क्या काम रहते हैं। ये आबादी अब-तक शायद ये ही ठीक से समझ पाई है कि हर पदों के लिए हर पांच साल में चुनाव होते रहते हैं। जिनमें से किसी एक पार्टी के प्रत्याशी को वोट देकर उन्हें चुनना भर होता है।
मध्यप्रदेश में इस बार बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। लाखों किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। हजारों किमी की सड़कें तबाह हो गईं। लाखों घरों को नुकसान पहुंचा। जिस पर इन सभी की सहायता के नाम पर आज यानी 4 नवंबर को प्रदेश की दोनों मुख्य राजनीति पार्टी भाजपा व कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर आंदोलन कर रही हैं। किसानों की कर्ज माफी नहीं होने का आरोप लगा कर भाजपा किसान आक्रोश आंदोलन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसलों के लिए मुआवजा राशि जारी नहीं करने का आरोप लगाकर कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ धरना आंदोलन कर रही हैं। दोनों में से कौन सी पार्टी किसानों की असली हितैषी है। ये तो हमें आने वाले वक्त में पता चल सकेगा लेकिन मौजूदा वक्त में हम खबर पढ़ समझने की कोशिश करें कि किसानों के लिए भाजपा का आक्रोश आंदोलन सही है या फिर कांग्रेस का धरना प्रदर्शन गलत है। प्रस्तुत है डेरिंग ऑफ न्यूज़ की विशेष खबर...


पहले ये जाने कि अधिक बारिश व बाढ़ ने हमारे मध्यप्रदेश को कितना तबाह किया
इस बार औसत से दुगनी-तिगनी बारिश व बाढ़ ने लगभग पूरे प्रदेश को प्रभावित किया है लेकिन 21 से अधिक जिले ऐसे हैं। जहाँ किसानों की फसलें शत-प्रतिशत तबाह हो गई। राज्य शासन की रिपोर्ट की माने तो इस बार अतिवृष्टि व बाढ़ से प्रदेश के लगभग 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर फसल खराब हो गई। वहीं 11 हजार किमी सड़कें बर्बाद हो गईं। इसीप्रकार अतिवृष्टि व बाढ़ से प्रदेश के करीब सवा लाख घरों को तगड़ा नुकसान पहुंचा। वहीं विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से 75 हजार रहवासियों की जान बचाई गई।


अतिवृष्टि व बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित प्रदेश के ये तीन जिले
राज्य शासन की रिपोर्ट के मुताबिक अतिवृष्टि व बाढ़ से प्रदेश के ये तीन जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। ये जिले उज्जैन संभाग के मंदसौर, आगर और नीमच हैं। इसीप्रकार कुल 21 से अधिक प्रभावित जिले ऐसे हैं। जिनकी तबाही का मंजर केंद्र की मोदी सरकार की आईएमसीटी टीम दौरा कर खुद अपनी आंखों से देख चुकी हैं।


प्रदेश व किसानों की सहायता के लिए मोदी सरकार से मांगे 6621.28 करोड़ रुपए लेकिन कमलनाथ सरकार को अब-तक नहीं मिला एक भी रुपिया
केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार है और प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार है। इस प्राकृतिक आपदा से प्रदेश के किसानों और रहवासियों को जल्द से जल्द राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रदेश सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार को एनडीआरएफ से 6621.28 करोड़ रुपए सहायता का अनुरोध अक्टूबर में ही कर दिया गया था। बावजूद अब तक खबर लिखे जाने तक मोदी सरकार की ओर से 6621.28 करोड़ रुपए में से एक भी रुपिया प्रदेश की कमलनाथ सरकार को नहीं मिल सका। किसानों व रहवासियों की इस सहायता के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अक्टूबर माह के प्रारंभ में खुद दिल्ली पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अतिवृष्टि व बाढ़ से बर्बाद प्रदेश की स्थिति उन्हें बताई थी। साथ ही गृहमंत्री अमित शाह को ज्ञापन सौंपकर मध्यप्रदेश को गंभीर आपदा की श्रेणी में रखने की मांग भी की थी।


प्रदेश सरकार का दावा, अब तक की जा चुकी 470 करोड़ रुपए की सहायता
इधर मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रदेश सरकार का दावा है कि उन्हें अतिवृष्टि व बाढ़ से सहायता के तौर पर केंद्र की मोदी सरकार से अब तक एक रुपया भी नहीं मिला। बावजूद कमलनाथ सरकार ने किसानों व प्रदेशवासियों की चिंता पालते हुए अपने मद में कटौती करते हुए अपने बूते अब तक 470 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रभावित परिवारों में वितरित की।  इनमें अतिवृष्टि से सबसे प्रभावित मंदसौर, आगर व नीमच जिलों की 270 करोड़ रुपए की सहायता शामिल हैं। राज्य सरकार का ये भी दावा है कि इन जिलों में फसल क्षति के लिए भी राशि का वितरण शुरू कर दिया गया है।
किसानों के लिए भाजपा का आक्रोश आंदोलन सही या फिर कांग्रेस का धरना गलत, आप खुद करें तय
मध्यप्रदेश में लोकसभा (केंद्र सरकार को चुनने वाली) की कुल 29 सीटें हैं। जिस पर 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 28 सीटें जीती थी। यानी वर्तमान में भाजपा के मध्यप्रदेश में कुल 28 सांसद हैं। वर्तमान में यहां कांग्रेस से सिर्फ एक सांसद है। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट जीतने में सफल हो सकी थी। इस सीट से नकुल नाथ सांसद हैं। इसके पहले 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 27 सीटें जीती थी। इसीप्रकार प्रदेश में विधानसभा (राज्य सरकार चुनने वाली) की कुल 230 सीटें हैं। इनमें अभी कांग्रेस की कुल 115 सीटें हैं। यानी उनके कुल 115 विधायक हैं। जिस पर वर्तमान में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार है। कमलनाथ सरकार को बने अभी 10-11 माह (इनमें लोकसभा 2019 चुनाव के लिए करीब तीन माह की आचार संहिता भी शामिल) हुए है। इसके पहले 2003 से दिसंबर 2018 तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही।  वर्तमान में भाजपा के कुल 107 (पवई सीट से भाजपा विधायक रहे प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त होने के बाद) विधायक हैं। किसानों की कर्ज माफी वादा खिलाफी के नाम पर जो अभी गांव-गांव मंजीरे बजा आक्रोश जाहिर कर रहे। वे ही शिवराजसिंह चौहान करीब 13 साल भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रहे। अब किसानों के नाम पर कमलनाथ सरकार की वादा खिलाफी के आरोप में भाजपा का आक्रोश आंदोलन सही हैं या फिर केंद्र की मोदी सरकार पर प्रदेश को अब तक एक रुपिया भी सहायता नहीं भेजे जाने का हवाला देकर कांग्रेस का धरना प्रदर्शन गलत है। खबर पढ़ आप खुद ही तय करें।
इनका कहना
कमलनाथ सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ हमने संघर्ष का शंखनाद किया है।
- शिवराजसिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश भाजपा सरकार



शिवराज जी का वक्तव्य दुखद है। उनकी मनोस्थिति समझ से परे है।
- जीतू पटवारी, उच्च शिक्षा मंत्री प्रदेश कांग्रेस सरकार


(नोट- दोनों नेताओं के कथन उनके ट्विटर अकाउंट पर उनकी पोस्ट के अंश से)


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