डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
प्रशासन व नगर निगम उज्जैन के कुछ लालची अफसरों की वजह से शहर की शान से मलबे में तब्दील की गई इस होटल में अब चोरी शुरू हो गई है। इस बात की पुष्टि तब और अधिक हो जाती है, जब रविवार शाम नानाखेड़ा पुलिस ने इस होटल परिसर में चोरी करने के जुर्म में कालबेलिया समुदाय की दो महिलाओं को गिरफ्तारी में लिया।
ये होटल नानाखेड़ा स्थित शांति पैलेस है। करीब 4-5 महीने पहले तक ये शहर की शान था लेकिन प्रशासन व नगर निगम के कुछ लालची अफसरों के लालच ने इस शहर की शान को मलबे में तब्दील कर दिया। होटल मालिक शेखर श्रीवास पर आरोप थे कि उन्होंने सोसायटी की भूमि के कुछ हिस्से पर कमर्शियल कमरों का निर्माण कर दिया। जिस पर इस आरोप के चलते नगर निगम ने उनकी नई और पुरानी होटल की दोनों बिल्डिंगों में बारूद भरकर उड़ा दी। अब यहां लाखो रुपए कीमत का मलबा पड़ा हुआ है। जिस पर अब इस मलबे में से भी चोरी की शुरुआत हो चुकी। रविवार दोपहर में जिला अशोकनगर के मुंगावली निवासी छोटे सिंह पिता बलवान सिंह ने लोहे-प्लास्टिक के पाइप, नलों की टोटियां, पर्दे आदि सामान चोरी करते दो महिलाओं को रंगेहाथ पकड़ नानाखेड़ा पुलिस के हवाले किया। एसआई ज्योति दिखित के मुताबिक गिरफ्तार महिलाएं फुलवा पिता कस्तूरा कालबेलिया व सीमा पति रेतराज कालबेलिया दोनों निवासी मकोड़ियाआम है। इन्हें सोमवार दोपहर न्यायालय में पेश किया जाएगा।
राहुल गांधी आए थे इसलिए होटल का बारूद से उड़ाना कांग्रेस के लिए भी बेहद शर्मनाक बात
दिसंबर 2018 से पहले प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही है। केंद्र में यूपीए सरकार रहते 2009-10 में बतौर कांग्रेस महासचिव रहते राहुल गांधी उज्जैन आए थे। इस दौरान वे अचानक भोजन करने के लिए होटल शांति पैलेस में पहुंचे थे।करीब 45 मिनट ठहरकर राहुल गांधी ने यहां लोगों के बीच बैठकर रेस्टोरेंट में भोजन किया था। इसके बाद से ही यह होटल प्रदेश व शहर के कुछ खुराफाती भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गई थी। होटल मालिक श्रीवास ने तब राहुल गांधी के साथ खिंचवाई तस्वीर बड़ी फ्रेम में रिसेप्शन हॉल में लगवाई थी। यह तस्वीर देख ढींगे हांकने वाले कुछ कांग्रेसी नेता भी नाखुश हो जाते थे क्योंकि इस तस्वीर के बाद उन्हें मुफ्त में कमरा मांगने व सस्ती दरों में हॉल या गार्डन किराए पर लेने में संकोच करना पड़ता था। वहीं राहुल गांधी की तस्वीर देख भाजपाइयों की भौहें चढ़ जाती थी और वे बिना तानाकशी दिए बगैर नहीं जाते थे। होटल की पुरानी बिल्डिंग (जिसमें राहुल गांधी आए थे) के निर्माण में कोई दोष नहीं था इसलिए तब उसका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सका। नई बिल्डिंग के निर्माण में गलतियां हुई या फिर होटल को तहस-नहस करने की योजना के तहत ये गलतियां जान बूझकर करवाई गई। ये जानकारी तो अभी ठीक से सामने नहीं आ सकी। लेकिन कांग्रेस का शासन आते ही वह शांति पैलेस की बिल्डिंग भी बारूद भरकर उड़ा दी गई, जहां राहुल गांधी ने लोगों के बीच बैठ भोजन किया था इसलिए होटल का बारूद से उड़ाना कांग्रेस के लिए भी बेहद शर्मनाक बात है। सूत्र बताते है कि होटल बचाने के लिए ही भाजपा प्रदेश शासन काल में होटल मालिक श्रीवास ने अपने पुत्र को भाजयुमो की राजनीति में सक्रिय किया था। पुरानी बिल्डिंग तोड़े जाने से बच सकती थी यदि शहर के कुछ कांग्रेसी अपने स्वार्थ को दरकिनार रख अफसरों के माध्यम से या फिर खुद जाकर सही बात कमलनाथ सरकार तक पहुंचा देते कि होटल की जिस पुरानी बिल्डिंग को भी नगर निगम द्वारा तोड़ा जा रहा है। वहां कभी हमारे नेता राहुल गांधी लोगों के बीच बैठकर भोजन कर चुके हैं। तब हो सकता था कि वह बिल्डिंग तोड़े जाने से बच जाती और इसमें काम करने वाले कर्मचारी भी बेरोजगार नहीं होते। याद रहे प्रदेश में भले ही कांग्रेस सरकार है लेकिन उज्जैन नगर निगम में पिछले 10 साल से भाजपा की नगर सरकार है।
(बारूद बिछाने के लिए नगर निगम जेसीबी के पंजे से उस होटल में होल करते हुए, जहाँ राहुल गांधी आए थे। वर्तमान में होटल की नई और पुरानी दोनों बिल्डिंग मलबे के रूप में बिखरी हुई पड़ी हैं)
लालची अफसरों के भरोसे से होटल बनीं और फिर बारूद लगाकर उड़ा भी दी गई
शांति पैलेस होटल की स्थापना तब हुई थी, जब नानाखेड़ा इलाका गांव व हरे-भरे पेड़ों की वजह से जंगल की शक्ल में था। मलबे में तब्दील होटल के सामने जो आज फोरलेन है। तब वह आधी कच्ची-पक्की सिंगल सड़क होती थी। 2008 में यह सड़क फोरलेन हुई। तब फोरलेन बनाने में शांति पैलेस होटल की भूमि भी अधिग्रहित की गई। फोरलेन बनने पर होटल ने भी अपनी ख्याती में रफ्तार पकड़ी। इसी ख्याती के बलबूते होटल मालिक शेखर श्रीवास ने धीरे-धीरे होटल के पीछे व पड़ोस की जमीनें खरीद ली। इन्ही में से कुछ भूमि सोसायटी की थी। होटल की बढ़ती ख्याती को देख उन्होंने पुरानी होटल के पड़ोस में उन्होंने तीन सितारा होटल बिल्डिंग बनाने की योजना तैयार की। भूमि के डायवर्सन के लिए प्रशासन में फाइल लगाई। यहां डायवर्सन के लिए उनसे कुछ लालची अफसरों ने ऊपर-ऊपर 5-7 लाख रुपए झटक लिए और भरोसा दिया कि हम यहां बैठे हैं।वे बिल्डिंग बनाना शुरू कर दे डायवर्सन होता रहेगा। सिंहस्थ 2016 से पहले नई होटल की बिल्डिंग तैयार करने के ख्वाब में लालची अफसरों की बातों में आकर श्रीवास ने बिल्डिंग का निर्माण शुरू कर दिया। इसके पहले नगर निगम के कुछ लालची अफसरों ने लाखों रुपए ऐंठ कर होटल बनाने के लिए नक्शा भी पास कर दिया। इन्ही दस्तावेजों के आधार पर बैंक ने होटल बनाने के लिए करीब 10-15 करोड़ रुपए फाइनेंस कर दिए। नए होटल की बिल्डिंग करीब दो मंजिल बन गई, तब प्रशासन के कुछ लालची अफसरों ने होटल के पक्ष में डायवर्सन कर दिया। इसके पहले होटल मालिक श्रीवास के एक शुभचिंतक ने भोपाल में वल्लभ नगर में बैठे अपने व्यापार पार्टनर अफसर की शह पर प्रशासन में बिना डायवर्सन अनुमति के होटल निर्माण की शिकायत कर दी। इस शिकायत से पहले होटल की बिल्डिंग 3-4 मंजिल तक पहुंच चुकी थी। इस शिकायत की जांच में होटल का डायवर्सन निरस्त कर दिया गया। कुल मिलाकर प्रशासन व नगर निगम के कुछ लालची अफसरों के कारण निजी खरीदी हुई भूमि पर शहर की शान बनी होटल शांति पैलेस बारूद बनाकर उड़ा दी गई। इससे होटल मालिक श्रीवास को तो करीब 30 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान तो हुआ ही। साथ ही सरकार के बैंक लोन की किश्ते लटक गई। नगर निगम व बिजली विभाग को लाखों रुपए का राजस्व मिलना बंद हो गया। वहीं प्रत्यक्ष तौर पर होटल के करीब 200 कर्मचारी रातों-रात बेरोजगार हो गए और अप्रत्यक्ष तौर पर शहर के करीब 500 लोगों को हर माह हजारों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा किंतु ये लालची अफसर अभी भी बेखौफ होकर इधर-उधर जिले में व इसी शहर में नौकरी करते हुए हर माह सरकार से मोटा वेतन ले रहे हैं और हो सकता है कि अपने लालच के चलते फिर कोई नई बिल्डिंग बनवा कर फिर उसे बारूद से उड़वाने की तैयारी कर रहे हो।