डॉन रिपोर्टर, उज्जैन।
केंद्रीय विद्यालय उज्जैन के प्राचार्य एबी पांडे के खिलाफ स्कूल की एक महिला शिक्षक ने पुलिस में शिकायत की है। इस शिकायत में पर्दे के पीछे उनके साथ स्कूल के ही दो-तीन अन्य महिला-पुरूष शिक्षक भी शामिल हैं। चूंकि महिला ने थाने में शिकायत की है इसलिए पुलिस को मामले की सही जांच करनी चाहिए। इधर प्रिंसिपल पांडे ने भी थाने में कुछ महिला-पुरूष शिक्षक की शिकायत की है। जिस पर इस शिकायत की भी निष्पक्ष जांच पुलिस को करनी चाहिए।
हमारी इस खबर में मूल विषय ये है कि एक ही अखबार में इसे तूल क्यों दिया जा रहा। क्या समय-समय पर इन खबरों के माध्यम से प्रिंसिपल पांडे पर कोई दवाब बनाया जा रहा हैं क्योंकि इस अखबार के सिटी चीफ के बच्चे खुद केंद्रीय स्कूल के विद्यार्थी हैं। वहीं जो हाईप्रोफाइल मुद्दा बताकर रोजाना खबरें लिख रहे हैं। उनकी धर्मपत्नी करीब साल-डेढ़ साल पहले इसी स्कूल में संविदा पर डांस टीचर रह चुकी हैं व बच्चा अभी स्कूल का विद्यार्थी है।
तब भी इसी अखबार में प्रिंसिपल को किया गया था टॉरगेट
26 अप्रैल 2019 को सेंट्रल स्कूल का एक छात्र बेहोश हो गया था। तब भी इस अखबार में प्रिंसिपल को ही टॉरगेट कर लिखा गया था कि-"प्रिंसिपल एबी पांडे की डांट से घबरा कर छात्र हुआ बेहोश"। उक्त छात्र का नाम वैदिक पिता जगदीश गेहलोद (13) निवासी सेठीनगर है। वह 8 वीं का छात्र है। 26 अप्रैल दोपहर कक्षा में ही चक्कर आने या फिर बेहोश होने पर प्रिंसिपल पांडे, वाइस प्रिंसिपल अंजना धनराजू सहित अन्य शिक्षक उसे नानाखेड़ा स्थित बिड़ला अस्पताल ले गए थे। जिस पर अखबार में खबरों के जरिए सिर्फ प्रिंसिपल पांडे को ही दोषी बताया गया था और अब फिर अखबार में प्रिंसिपल पांडे को विलेन की तरह प्रस्तुत किया जा रहा हैं। तब वैदिक के पिता जगदीश गेहलोद ने डेरिंग ऑफ न्यूज़ को वर्जन देकर ये बताया था-"मेरा बच्चा पहली क्लास से केंद्रीय विद्यालय में पढ़ रहा है। जबसे प्रिंसिपल पांडे सर आए हैं। मेरे बच्चे की पढ़ाई और अन्य एक्टिविटीज में पॉजिटिव परिवर्तन देखने को मिला है। प्रिंसिपल की डांट से बच्चे के बेहोश की खबर किस आधार पर और किसने छपवाईं ये तो नहीं पता लेकिन जिस तरह से मेरे पास फोन आए, उससे स्पष्ट है कि स्कूल स्टाफ के कुछ लोग प्रिंसिपल सर को उलझाना चाहते हैं। मेरा बच्चा स्कूल में बेहोश नहीं हुआ था बल्कि उसे चक्कर आए थे। संभवतः अधिक गर्मी के कारण भी ये स्थिति बनी हो क्योंकि उस दिन वह तबियत खराब होने का कहकर स्कूल भी नहीं जाना चाहता था। प्रिंसिपल सर से हमें कोई शिकायत नहीं क्योंकि वे स्कूल के एक-एक बच्चे का ध्यान अभिभावक की तरह रखते हैं"
क्या इसलिए बनाया जा रहा ये दवाब ? डेरिंग ऑफ न्यूज़ शिक्षिका के खिलाफ नहीं लेकिन स्कूल की बदनामी के पक्ष में भी नहीं
केंद्रीय विद्यालय में शहर के करीब 1500 विद्यार्थी पढ़ते हैं। पदेन उज्जैन संभागायुक्त इस स्कूल के अध्यक्ष होते हैं। इस कारण संभागायुक्त अजीत कुमार इस स्कूल के वर्तमान अध्यक्ष हैं। जिस शिक्षिका ने प्रिंसिपल पांडे की थाने में शिकायत की है। नियम से पहले उसे अपनी शिकायत स्कूल अध्यक्ष को करनी चाहिए। बावजूद फिर भी थाने में प्रिंसिपल की शिकायत करने पर भी डेरिंग ऑफ न्यूज़ शिक्षिका के खिलाफ नहीं लेकिन स्कूल की बदनामी के पक्ष में भी नहीं क्योंकि इस स्कूल के उसके बच्चे भी विद्यार्थी हैं। जिस तरह से अखबार में एकतरफा खबरें प्रकाशित की जा रही है। उससे स्पष्ट होता है कि शिक्षिका को न्याय दिलवाने में कम लेकिन किसी स्वार्थ सिद्धि की पूर्ति के लिए खबरें प्रकाशित कर प्रिंसिपल पांडे पर दवाब बनाया जा रहा है। फिर वह स्वार्थ सिद्धि बतौर डांस टीचर खबर लिखने वाले की धर्मपत्नी की स्कूल में वापसी करवाना हो या फिर सिटी चीफ धर्मपत्नी की संविदा पर स्कूल में शिक्षिका की नियुक्ति हो।
इनका कहना
मैं बाहर से आया हूं इसलिए मेरा शहर में परिचय ना के बराबर है। स्कूल के जो तीन-चार शिक्षक मुझे पसंद नहीं कर रहे। वे करीब 15-20 साल से यहीं पदस्थ हैं। जिस पर शहर के हर वर्ग के लोगों में उनकी खास पैठ है। नियम व अनुशासन को लेकर मैं थोड़ा सख्त हूं। जो बात इन शिक्षकों को पसंद नहीं इसलिए ये सभी साजिश कर मुझे हटाना चाहते हैं। जब हर तरह की साज़िश में नाकाम हो गए तो अब महिला को मोहरा बनाया है। हमनें भी पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
-एबी पांडे, प्रिंसिपल सेंट्रल स्कूल
मैं परिवार, समाज की इज्ज़त को ध्यान रख चुप रही लेकिन बर्दाश्त के बाहर स्थिति हुई तो विवश होना पड़ा।
- शिकायतकर्ता महिला शिक्षक, जैसा कि उन्होंने उक्त अखबार के रिपोर्टर को थाने पर बताया