ये हैं मिलावट के शुद्ध असली व्यापारी, पर रासुका से छूट देकर प्रशासन द्वारा महज धारा 420 में प्रकरण दर्ज करवाने पर अब ये फिर बना प्रदेश का नंबर 1 जिला*
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डॉन रिपोर्टर, उज्जैन/
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प्रदेश की जनता को मिलावट से मुक्ति दिलवाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अभियान छेड़ रखा है। इसी अभियान के दृष्टिगत मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ 9 अगस्त को "मिलावट खोरों अब प्रदेश छोड़ो" नारा दिया था लेकिन मिलावटखोरों के खिलाफ जो करवाई उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा की गई है। उससे तो स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के "मिलावट खोरों अब प्रदेश छोड़ो" नारे के जवाब में अब कुछ अफसरों ने "हम हैं ना, तो फिर क्यों प्रदेश छोड़ो" नया नारा बना लिया है।
मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान की शुरुआत में नकली घी बनाने पर प्रदेश में सबसे पहले उज्जैन जिले में रासुका के तहत करवाई की थी। यहाँ केलकर परिसर निवासी आरोपी डॉ. कीर्ति केलकर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इस करवाई से खुश होकर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने उज्जैन दौरे के दौरान कलेक्टर शशांक मिश्र व एसपी सचिनकुमार अतुलकर का फूल माला पहना सम्मान भी किया था। इसके बाद प्रदेश के अन्य जिलों में मिलावटखोरों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। अब एक मर्तबा उज्जैन फिर ऐसा पहला जिला बना है। जहाँ जांच में ये साबित होने कि-ये व्यापारी शुद्ध मिलावटखोर हैं, पर फिर भी उन्हें रासुका के तहत करवाई में छूट देकर उनके खिलाफ महज धारा 420 (धोखाधड़ी) में प्रकरण दर्ज कर खानापूर्ति कर ली गई।
*ये हैं शुद्ध मिलावट के असली व्यापारी, जिन्हें रासुका में छूट देकर महज धारा 420 में करवाई की गई*
*अश्विन जैन*- इसे उन्हेल थाना पुलिस ने धारा 420 व खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 50, 51 व 58 के तहत आरोपी बनाया है। एफआईआर में जिक्र है कि इसके पिता ओमप्रकाश जैन हैं और यह उन्हेल के बड़ा बाजार का निवासी है। 17 सितंबर 2019 को खाद्य अधिकारी बसंत शर्मा ने इसके खिलाफ थाने में लिखित शिकायत की। जिसमें बताया गया कि 25 जुलाई 2019 को कलेक्टर शशांक मिश्र के आदेश पर इसके उन्हेल बड़ा बाजार स्थित अश्विन ट्रेडर्स पर छापा मार करवाई की गई थी। जिस पर यहाँ से मावा जब्त कर जांच के लिए राज्य खाद्य प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया था। जहाँ रिपोर्ट में मावा अमानक स्तर का होना पाया गया। खाद्य अधिकारी बसंत शर्मा ने एफआईआर में ये जिक्र भी किया है कि 4 अप्रैल 2016 को भी व्यापारी अश्विन जैन की फर्म पर छापा मार कर मावे व दही के नमूने लिए गए थे। जिसमें जांच में दोनों खाद्य सामग्री अमानक पाए जाने पर सक्षम न्यायालय की ओर से अश्विन जैन के खिलाफ 40 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका गया था।
*सूरज जैन-* इसे भी उन्हेल पुलिस ने धारा 420 व खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धाराओं के तहत आरोपी बनाया है। एफआईआर में जिक्र है कि इसके पिता कुंतीलाल जैन हैं और ये स्टेशन रोड उन्हेल का निवासी है। 17 सितंबर 2019 को खाद्य सुरक्षा अधिकारी शैलेश कुमार गुप्ता ने इसके खिलाफ लिखित शिकायत की। जिसमें बताया गया कि 24 जुलाई 2019 को कलेक्टर शशांक मिश्र के आदेश पर इसके उन्हेल स्थित सिद्धि फर्म पर छापा मारा गया था। जिस पर यहाँ से जब्त किए मावे के दो व वनस्पति का एक नमूना जांच के लिए भोपाल भेजा गया था। जहाँ से आई जांच रिपोर्ट में मावा अमानक स्तर व वनस्पति अपद्रव्य साबित किए गए। बहरहाल इन सबके बाद भी इन दोनों आरोपियों पर प्रशासन द्वारा रासुका की करवाई में छूट देते हुए महज धोखाधड़ी की धारा 420 में पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाया गया।
*विक्रेता पर रासुका लेकिन नकली मावा-दही निर्माता पर सिर्फ धोखाधड़ी*
आरोपी अश्विन जैन व सूरज जैन पर महज धोखाधड़ी की धारा में प्रकरण दर्ज करवाने से प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े होना लाजमी है। क्योंकि विक्रेताओं पर तो रासुका की भारी भरकम ठोस कानूनी करवाई लेकिन नकली मावा, दूध, दही या पनीर निर्माताओं पर महज हल्की-फुल्की धोखाधड़ी की करवाई। उसमें भी जो मूल निर्माता है, उसके खिलाफ अब तक करवाई के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा। उदाहरण के लिए इंदौर खाद्य विभाग ने भी 25 जुलाई 2019 को रीगल तिराहे स्थित धेनु मार्केट में सिद्धार्थ इंटरप्राइजेज पर छापामार करवाई की थी। यहाँ से टीम ने घी, पनीर व दही के नमूने लिए थे। जिस पर जांच में तीनों खाद्य पदार्थ अमानक स्तर के पाए जाने पर इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव ने सिद्धार्थ इंटरप्राइजेज के संचालक सिद्धार्थ जैन व मौजूद विक्रेता शुभम सदाफुले पर रासुका के तहत करवाई कर जेल भिजवाया था। आरोपी सिद्धार्थ जैन मूलतः उन्हेल निवासी है और तब पकड़े जाने पर उसने कबूला था कि वह उन्हेल निवासी थोक व्यापारी ओमप्रकाश जैन से घी, मावा, दही व पनीर खरीदकर इंदौर में फुटकर में बेचता है। हाल ही में प्रशासन की रिपोर्ट पर उन्हेल पुलिस द्वारा धोखाधड़ी का आरोपी बनाया गया अश्विन जैन थोक व्यापारी ओमप्रकाश जैन का ही पुत्र है। अब ऐसे में विक्रेताओं पर रासुका की भारी भरकम ठोस कानूनी करवाई और नकली घी, दूध, दही, मावा व पनीर निर्माताओं पर महज हल्की-फुल्की धोखाधड़ी की करवाई और उसमें भी मूल निर्माताओं पर करवाई के नाम पर अब तक जीरो बटा सन्नाटा से प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े होना लाजमी है।
*2 अंक पर 6 शून्य का खेल...चट भी मेरी और पट भी मेरी*
नकली मावा और वनस्पति व्यापारी अश्विन जैन व सूरज जैन पर रासुका की करवाई से फौरी छूट दिलवाकर महज धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करवाने में प्रशासन के खाद्य विभाग के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों के 2 अंक पर 6 शून्य के खेल की जानकारी भी बाहर निकली है। बताया जाता है कि इस खेल में "चट भी मेरी और पट भी मेरी" फार्मूला रहता है। मान दोनों व्यापारियों के मामले में धोखाधड़ी के प्रकरण से ही काम चल गया और ज्यादा नहीं फैली तो खाद्य विभाग के उन अधिकारी-कर्मचारी का 2 अंक पर 6 शून्य का खेल पूरा हो जाएगा और यदि बात बिगड़ गई और खेल का रायता प्रदेश में फेल गया तो ऊपर अधिकारी या मंत्रियों के लिए जवाब तैयार रहेगा कि साहब रिपोर्टर तो मूर्ख होते हैं, इन्हें इतना भी पता नही की जेल जाने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत करवाई होती है। इसलिए इस खेल के फार्मूले में "चट भी मेरी और पट भी मेरी"
*तीन बार बिजी और चौथी बार कलेक्टर के मोबाइल ने कहा, वे आपका उत्तर नहीं दे रहे*
नकली खाद्य व्यापारियों पर रासुका की करवाई में छूट व धोखाधड़ी के प्रदेश के पहले मामले में अधिक जानकारी के लिए daringofnews.com ने कलेक्टर शशांक मिश्र से मोबाइल पर संपर्क करना चाहा लेकिन तीन बार उनका मोबाइल उन्हें व्यस्त बताता रहा और चौथी बार उनके मोबाइल पर लंबी रिंग जाती रही। अंत में मोबाइल से आवाज आई कि आप जिसे कॉल कर रहे हैं। वह आपके कॉल का उत्तर नहीं दे रहा।